रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने कहा है कि गलत रिपोर्टिग करने वालों से सख्ती से निपटेगी. सरकार ने सर्कुलर जारी कर के कहा है कि जो लोग सरकार के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. इसी बात को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है बीजेपी और कांग्रेस ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर जहां लोकतंत्र विरोधी और पाखंड़ी होने का आरोप लगाया है. वहीं एडीटर्स गिल्ड ने भी इसे क्रूड अटेंप्ट बताया है.

सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मीडिया में कुछ भी गलत दिखाने पर आपराधिक मामला दर्ज करने का फैसला किया जा सकेगा. साथ ही आदेश में सरकार की छवि खराब करने वाले समाचारों पर संबंधित संस्थान या संवाददाता के खिलाफ मानहानि या फिर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा.

सरकार की ओर से जारी आदेश में सरकारी विभाग के प्रमुखों को स्पष्ट किया है कि अगर इस तरह की कोई भी खबर प्रकाशित पाते हैं, तो उसके संबंध में प्रधान सचिव व गृह को शिकायत की जा सकती है. प्रधान सचिव की ओर से इस पर आगे की कार्रवाई की जा सकेगी. गृह विभाग को इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार सरकार ने दिया है. विभाग इस तरह की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मीडिया संस्थान या व्यक्ति विशेष के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करा सकता है.

ज्ञात हो कि मीडिया की रिपोर्टिग से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल काफी नाराज हैं. सत्ता में आने के बाद गत ३ मई को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मीडिया के कुछ हिस्सों पर सुपारी लेकर काम करने के गंभीर आरोप लगाए थे. उसके बाद अब सरकार की छवि खराब करने वालों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करने के साथ-साथ उनको जेल भेजने का आदेश निकला गया है.

हालाकि यह आदेश गत 6 मई की निकाला गया था. सरकार के अधीनस्थ दिल्ली सरकार का सूचना एवं प्रचार निदेशालय लगातार ऐसी खबरों पर नजर बनाने का काम कर रहा है. इस विभाग में एक मानीटरिंग सेल भी बनाया गया है. जो लगातार सरकार के बाबत चलाई जा रही खबरों की निगरानी करेगा और उसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को देगा.

इधर, इस आदेश के जारी होने के बाद इसका भाजपा व कांग्रेस ने विरोध किया है. विपक्ष ने भी मीडिया की आजादी पर हमला करने पर केजरीवाल सरकार के खिलाफ खुलेआम हमला बोला है. भाजपा ने मीडिया की स्वतंत्रता को बचाने के लिए आदोलन तक छेड़ने का फैसला किया है. काग्रेस ने सरकार की तरफ से मीडिया के खिलाफ अप्रत्याशित कार्रवाई करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है.

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