राजधानी पटना में छोटे-बड़े लगभग 5000 कोचिंग इंस्टीच्युट चलते हैं। पर, इनमें से 607 ही एडमिनिस्ट्रेशन की नजर में हैं, यानी शहर में सिर्फ इतने ही इंस्टीच्युट हैं, जो पूरे स्टेट से आनेवाले एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। इसकी इंफॉरमेशन डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को है और डीएम संजय कुमार इसे लेकर अब कड़ा रुख अपना रहे हैं। कोचिंग इंस्टीच्युट्स की मनमानी के कारण पिछले साल स्टूडेंट्स ने बवाल किया और इसकी चपेट में आए एक स्टूडेंट की जान भी चली गयी। हंगामा फरवरी पर 2010 में हुआ और तब शुरू हुई कोचिंग एक्ट बनने और लागू करने की तैयारी। कोचिंग संचालकों की मनमानी रोकने के लिए आज भी सिर्फ तैयारियां हैं, इसका असर होना बाकी है।

एक साल बाद भी इन प्रॉसेस

एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा बनाए गए नियम में सबसे पहला नियम था, सभी कोचिंग इंस्टीच्युट्स को रजिस्टर्ड कराना। रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करने की शुरुआत भी हुई, लेकिन यह संख्या रुक गयी 607 पर। लास्ट डेट थी 16 जुलाई 2010, लेकिन पूरा एक कैलेंडर इयर बीतने के बाद अभी भी एडमिनिस्ट्रेशन इनके रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस में ही लगा है। रजिस्ट्रेशन के लिए जिन्होंने अप्लाई किया है, उनकी जांच होगी। जिन्होंने नहीं किया, उनकी तो अभी कोई बात ही नहीं कर रहा।

'सालभर बाद खुली है नींद'
डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की नींद खुलने में सालभर लगा है। जबकि इस दौरान स्टूडेंट्स इंस्टीच्युट की इनडोर पॉलिटिक्स में कॅरियर और पैसे दोनों गंवा रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं और ना ही कोई मदद करने वाला। हर साल हजारों स्टूडेंट्स बिहार के गांवों, कस्बों और शहरों से पटना आते हैं। इनमें एक बड़ा तबका 'तैयारीÓ करने वालों का है, जो इंटरमीडिएट से लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले शामिल हैं। कोचिंग संस्थानों का 'धंधाÓ इन्हीं स्टूडेंट्स की बदौलत चलता है। सालभर पहले हुआ था हंगामा, तब सबको तेजी थी। हालांकि एक साल के बाद एक बार फिर यह प्रयास शुरू हुआ है, जिसमें अप्लाई करने वाले कोचिंग संस्थानों की जांच होगी और नहीं अप्लाई करने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

क्या है पूरा मामला
* राजधानी के कोचिंग इंस्टीच्युट में स्टूडेंट के साथ टीचर द्वारा मारपीट के बाद आठ फरवरी 2010 को मामला उठा और तीन दिनों तक कोचिंग ओरिएंटेड सभी इलाके जलते रहे।
* तीन दिनों तक चले हंगामे में एक स्टूडेंट की मौत भी हुई, कई जख्मी हुए। बाद में स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन के इंटरफेरेंस के बाद मामला टला।
* स्टेट एचआरडी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी द्वारा बीच-बचाव के लिए कमेटी बनी। तय हुआ कि एक्ट बनेगा, जिसमें सभी इंस्टीच्युट को रजिस्ट्रेशन कराना कंपल्सन होगा।
* रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करने की लास्ट डेट थी 16 जुलाई 2010. फाइनल डेट तक महज दो सौ इंस्टीच्युट ने रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई किया। अब अप्लाई करने की डेट को एक साल बीत चुका है, लेकिन आंकड़ा है महज 607.

रजिस्ट्रेशन में कोचिंग एडमिनिस्ट्रेटर्स द्वारा दी जानेवाली डिटेल्स
* फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की डिटेल्स, जिसमें जमीन की पूरी माप, क्लासेज की संख्या, स्टूडेंट्स की संख्या, क्लास में स्टूडेंट्स की संख्या अवेलेबल रहेगी।
* इसके साथ एक स्टूडेंट को मिलने वाली मिनिमम स्पेस, टॉयलेट फैसिलिटी, साइकिल या अन्य वाहन के लिए पार्किंग की व्यवस्था, ड्रिंकिंग वाटर फैसिलिटी की डिटेल, बेंच-डेस्क की अवेलेबिलिटी, क्लासेज में प्रॉपर लाइट की अवेलेबिलिटी की भी पूरी इंफॉरमेशन देनी होगी।
* कोचिंग में चलने वाले कोर्सेज का विवरण, कोर्स ड्यूरेशन, फी स्ट्रक्चर के साथ देना है।
* टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की कंप्लीट डिटेल के साथ टीचर्स के टीचिंग एक्सपीरिएंस के बारे में भी इंफॉरमेशन देनी होगी।
* कोचिंग संचालक द्वारा एक अंडरटेकिंग भी देना होता है, जिसमें यह स्पष्ट लिखा होता है कि किसी प्रकार की गलत इंफॉरमेशन देने की सूरत में रजिस्ट्रेशन को कैंसिल कर दिया जाए।

क्या थे स्टूडेंट्स के आरोप
* क्लास में स्टूडेंट्स की भीड़ पर कोई कंट्रोल नहीं।
* बंदूकधारियों से धमकाना।
* कोर्स को मनमुताबिक पढ़ाना।
* जिस टीचर का नाम दिखाकर एडमिशन लिया, पढ़ाई में वह कहीं से भी शामिल नहीं होता।
* कोचिंग एरियाज में हाउस रेंट अधिक होने की प्रॉब्लम।

हंगामे के वक्त एडमिनिस्ट्रेशन के एश्योरेंस
* हर इंस्टीच्युट को करना होगा रजिस्ट्रेशन।
* रजिस्ट्रेशन से पहले होगी पूरी इंक्वायरी।
* इंफ्रास्ट्रक्चर के बेसिस पर फिक्स होगी स्टूडेंट्स की संख्या।
* फीस की मैक्सिमम लिमिट भी रहेगी फिक्स्ड।
* इंस्टीच्युट्स का होगा रेगुलर इंस्पेक्शन।
* स्टूडेंट्स के लिए बनेगा ग्रिवांस सेल।

कोचिंग एक्ट के मेन प्वाइंट्स
* ऐसे सभी टीचर्स को रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिनसे दस या उससे अधिक स्टूडेंट्स पढ़ते हैं।
* कोचिंग से रिलेटेड कोई भी शिकायत संबंधित एसडीओ के पास होगी और इन शिकायतों का निबटारा एक महीने में हो जाएगा।
* शिकायतों के निबटारे के लिए एसडीओ की लीडरशिप में कमेटी बनी है, जिसमें एसडीओ को डीएसपी और असिस्टेंट एजुकेशन ऑफिसर असिस्ट करेंगे।

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