- सांसद धर्मेद्र यादव पर लगाए थे गंभीर आरोप

- अवैध खनन, गोकशी और भ्रष्टाचार में लिप्त बताया

LUCKNOW: समाजवादी पार्टी ने बदायूं के विधायक और वफ्फ विकास निगम के अध्यक्ष आबिद रजा को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बदायूं जिला कार्यकारिणी के प्रस्ताव पर यह कदम उठाया है। आबिद रजा पर आरोप है कि वे पार्टी विरोधी गतिविधियों मे लिप्त थे। साथ ही संगठन के निर्देशों के विपरीत अवैध काम कर रहे थे। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक उन्हें विधानसभा मंडल दल से भी निलंबित कर दिया गया है। मालूम हो कि सांसद धर्मेद्र यादव पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के भतीजे हैं।

लगाए कई गंभीर आरोप

आबिद रजा ने शनिवार को बदायूं के सांसद धर्मेद्र यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए थे जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है। उन्होंने धर्मेद्र यादव से अपनी जान का खतरा बताते हुए कहा कि उनके घर की रेकी की जा रही है। साथ ही धर्मेद्र यादव को अवैध खनन, गोकशी और विकास कार्यो में भ्रष्टाचार करने का आरोप भी लगाया था। हैरत की बात यह है कि पिछले कई सालों के दौरान बदायूं की राजनीति के अगुवा रहे धर्मेद्र यादव और आबिद रजा के बीच ऐसा कोई विवाद सामने नहीं आया, अचानक हुए इस घटनाक्रम पर पार्टी के तमाम नेता भी हैरानी जता रहे हैं।

कहीं कमीशन का झगड़ा तो नहीं

आबिद रजा की पत्नी फातिमा रजा बदायूं नगर पालिका की अध्यक्ष हैं। सामने आया कि बदायूं में करीब 80 करोड़ की लागत से अंडरग्राउंड केबलिंग का काम होना था जिसके लिए आबिद और फातिमा की सलाह नहीं ली गयी। आबिद का कहना है कि यह काम सांसद ने किसी 'खास' को दे दिया जो मानकों के मुताबिक नहीं हो रहा है। इसके अलावा सड़कों के निर्माण के लिए 24 करोड़ का बजट आया था, यह काम भी उनको भरोसे में लिए बगैर चुनिंदा लोगों को सौंप दिया गया। इसे लेकर ही दोनों के रिश्तों के बीच दरार आने की चर्चा है। साथ ही इसे कमीशनबाजी से भी जोड़ा जा रहा है।

लेकिन झांसी मामले में कार्रवाई नहीं

सांसद धर्मेद्र यादव पर आरोप लगाने के बाद भले ही आबिद रजा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया हो, लेकिन हाल ही में झांसी में राज्य महिला आयोग की सदस्य के साथ भरी बैठक में मारपीट के मामले में नामजद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। पार्टी ने केवल जिलाध्यक्ष समेत जिला कार्यकारिणी को भंग किया है। एफआईआर में नामजद सांसद, विधायक व जिलाध्यक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।