- मानक दरकिनार कर लॉन्ग रूटों पर एसी बसें दौड़ा रहा गोरखपुर रोडवेज
- टूटे शीशे के सहारे तीन साल से दिल्ली रूट पर फर्राटा भर रही जनरथ बस
- गंदे फिल्टर वाले बसों के एसी पैसेंजर्स को बांट रहे बीमारियां
GORAKHPUR: फ्लाइट और ट्रेन के टिकट कंफर्म ना होने पर तीसरा बेस्ट ऑप्शन लॉन्ग रूट के सफर के लिए एसी बस है। ज्यादातर एलीट क्लास फैमिलीज ट्रेन और फ्लाइट के टिकटों की मारा-मारी से बचने के लिए एसी लग्जरी बसों में सफर करती हैं। लेकिन गोरखपुर रोडवेज की एसी बसों में स्टैंडर्ड फैसिलिटी के नाम पर पैसेंजर्स को टूटे शीशे के साथ गंदे पर्दे और सीट्स ही नसीब हैं। आलम ये कि यहां से लॉन्ग रूट्स पर चलने वाली ज्यादातर एसी बसों को मानक दरकिनार कर ही दौड़ाया जा रहा है। दिल्ली रूट की एक जनरथ बस तो तीन साल से टूटे शीशे के साथ ही फर्राटा भर रही है। फेस्टिवल सीजन को देखते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने मंगलवार को रोडवेज की एसी बसों का रियल्टी चेक किया तो जिम्मेदारों की उदासीनता बयां करते ये हालात सामने आए।
बाहर से चकाचक, अंदर से खटारा
सबसे पहले गोरखपुर बस अड्डे पर लखनऊ जाने के लिए खड़ी जनरथ बस में टीम ने एंट्री की। बस के अंदर गंदे पर्दे, टूटी और मैली सीट के साथ कई सीटों पर फैन और मोबाइल चार्जर खराब मिले। पैसेंजर्स ने बताया कि पैसा पूरा लिया गया है लेकिन न तो सफाई दिख रही है, न ही हर सीट पर चार्जिग प्वॉइंट ही दिख रहा है। ऐसे में गंदी सीट पर बैठकर जाना ही मजबूरी है।
बीमार बना देगा बस का एसी
नाम न छापने की शर्त पर एक जनरथ बस के कंडक्टर ने बताया कि एसी का फिल्टर समय से साफ नहीं होता है। बोलने पर एसी का काम करने वाले ठेकेदार भड़क जाते हैं। दिल्ली से आने के बाद एसी के फिल्टर में जितनी गंदगी रहती है वो पैसेंजर्स देख लें तो बैठने से भी इनकार कर दें। क्योंकि फिल्टर गंदा होने पर एसी से जो दूषित हवा निकलती है वो पैसेंजर्स को बीमार बना सकती है।
शताब्दी तोड़ती स्पीड का कांटा
परिवहन निगम के निर्देश के बाद भी सभी बसों में स्पीड लिमिट डिवाइस नहीं लग पाया है। गोरखपुर से चार शताब्दी बसें लखनऊ के लिए चलती हैं। जिनके लिए डिवाइस की डिमांड लखनऊ से की गई थी जो अभी तक आ नहीं पाया है। जिससे बसें भी निर्धारित स्पीड लिमिट पार करती रहती हैं जिससे बड़ा हादसा हो सकता है।
बॉक्स
टूटे शीशे के भरोसे दौड़ रही दिल्ली की बस
टीम जब दिल्ली जाने वाली जनरथ बस नंबर यूपी 53 डीटी 4861 में पहुंची तो चौंकाने वाला दृश्य सामने आया। आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि दिल्ली जाने वाली इस बस का मेन फ्रंट का ही शीशा क्रेक है। इसी कंडीशन में ये बस तीन साल से फर्राटा भर रही है। यही नहीं लॉन्ग रूट की बसों की एवरेज ऐज चार लाख किमी है लेकिन ये बस 9 लाख किमी चल चुकी है। इसका मीटर भी बंद कर दिया गया है। पिछला शीशा प्लास्टिक का है जिससे कुछ भी नहीं दिखता है। इस हालत में अब इस बस की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है।
फैक्ट फिगर
जनरथ बस - 42
लखनऊ का किराया - 510 रुपए
दिल्ली का किराया - 1427 रुपए
शताब्दी बस - 4
शताब्दी का किराया - 515
एसी बस में ये होनी चाहिए फैसिलिटी
- डेली धुलाई और अंदर की सफाई
- पर्दे साफ हों
- हैमर
- फायर फाइटिंग सिस्टम
- एसएलडी-स्पीड कंट्रोल डिवाइस
- डस्टबिन
- पानी
- दवा
कोट्स
बस के फर्श पर धूल ही धूल दिख रही है जिसे एसी खींच कर हम लोगों के ऊपर छोड़ता है। डेली सफर करेंगे तो बीमार हो जाएंगे।
आलोक रंजन, पैसेंजर
इतनी गंदी सीट है कि बैठने का मन नहीं करता है। लेकिन मजबूरी है इसलिए गंदी सीट पर भी बैठकर सफर कर रहे हैं।
रमेश कुमार
एसी बस का मतलब ये नहीं है कि सिर्फ एयरकंडीशन चले। इसके अलावा और भी सुविधाएं हैं जिन्हें पैसेंजर्स के लिए अवेलबल कराया जाना चाहिए।
योगेश शुक्ला
ऑर्डनरी बसों और एसी बसों में केवल यही अंतर है कि एक एसी है दूसरी नॉन एसी। फैसिलिटी के मामले में दोनों में कोई अंतर नजर नहीं आता।
अविनाश नायक
फैन सही नहीं है। मोबाइल चार्ज करना है लेकिन यहां का चार्जर भी खराब है। नाम की एसी बस है। सुविधा कुछ भी नहीं है।
दीपक तिवारी
वर्जन
बसों को मेंटेन रखा जाता है। किसी बस का शीशा चटका हुआ है तो उसे बदलवाना चाहिए। इसे मैं दिखवाता हूं।
- डीवी सिंह, आरएम