-बल्लूपुर फ्लाईओवर पर एक गाड़ी के नीचे आने से जिंदा मुर्गे की मौत

-मौके से गुजर रहे पीसीसीएफ ने दिए सप्लायर पर केस दर्ज कराने के निर्देश

देहरादून, थर्स डे सुबह बल्लूपुर फ्लाई ओवर पर एक कार के नीचे आने से सप्लायर के मुर्गे की मौत हो गई। सप्लायर टू व्हीलर पर करीब 14 मुर्गे ले जा रहा था। ठीक इसी समय फॉरेस्ट चीफ जयराज की गाड़ी वहां से गुजर रही थी। यह नजारा देख वे नाराज हो गये और आलाधिकारियों को मौके पर बुलाकर मुर्गा सप्लायर के खिलाफ केस दर्ज करने का निर्देश दिए। लेकिन, यह मामला बिंदाल कैंट चौकी व बसंत बिहार थाना के बीच फंसा रहा। आखिर में बसंत बिहार थाने में मुर्गा सप्लायर के खिलाफ केस दर्ज हो पाया।

चौकी व थाने के बीच दौड़

जानकारी के अनुसार उत्तराखंड फॉरेस्ट चीफ सुबह पौने दस बजे के करीब अपने आवास बसंत बिहार से राजपुर रोड मुख्यालय जा रहे थे। इसी दौरान एक मुर्गा सप्लायर अपनी स्कूटी पर दून से प्रेमनगर की ओर जा रहा था। इस बीच बल्लूपुर फ्लाई ओवर में चकराता रोड से प्रेमनगर की ओर जा रहे एक स्कूटी सवार मुर्गे के झुंड के साथ फर्राटे भर रहा था। इसी दौरान प्रेमनगर की ओर से दूसरा बाइक सवार पर स्कूटी सवार मुर्गे टकरा गया और रस्सी टूट गई। इसी बीच एक मुर्गा सड़क पर गिर गया। इसी दौरान चकराता रोड से ही आ रहे कार के नीचे वह जिंदा मुर्गा आ गया और मुर्गे की मौके पर ही मौत हुई। इसी दौरान बसंत बिहार से आ रहे पीपीसीएफ चीफ की नजर पड़ गई। उन्होंने तत्काल वन अधिकारियों को मौके पर बुलाया और पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाने के निर्देश दिए। बताया जा रहा है कि मामला कैंट चौकी बिंदाल पहुंचा, लेकिन क्षेत्र चौकी में न होने के कारण वन कर्मियों को बसंत बिहार थाना दौड़ना पड़ा और वहां केस दर्ज कराया गया।

जिंदा मुर्गे संस्था को सौंपे

वन कर्मियों की ओर से केस स्कूटी चलाने वाले मो। शाहनवाज के खिलाफ दर्ज करवाया गया है। जिसमें कहा गया है कि मो.शाहनवाज करीब 14 मुर्गे स्कूटी में प्रेमनगर की ओर ले जा रहा थे, जिसमें 7 जिंदा थे और बाकी मरे हुए थे। जो जिंदा मुर्गे थे, वे स्कूटी में उल्टे लटकाकर ले जाए जा रहे थे, जो पशुक्रूरता अधिनियम का उल्लंघन है। फिलहाल वन कार्मिकों ने जिंदा मुर्गो को सहस्रधारा रोड स्थित एक संस्था के सुपुर्द कर दिया। मरे हुए मुर्गो को दफना दिया गया।

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मथुरा के सिंघम फिर पहुंचे दून

दून के कई इलाकों में लोग बंदरों से परेशान हैं। आए दिन डीएफओ कार्यालय रिटर्न कंप्लेंस व कॉल्स के कारण परेशान हैं। ऐसे में डीएफओ ने मथुरा से बंदर पकड़ने वाले दोबारा बुलाया है। मथुरा के बंदर पकड़ने वालों ने अपनी कैंपेन के तहत थर्सडे को पटेलनगर जीआरडी एकेडमी से 14 बंदर पकड़े। इसके बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की रेस्क्यू टीम ने इन बंदरों को देर शाम हरिद्वार के चिडि़यापुर रेस्क्यू सेंटर छोड़ा। रेस्क्यू टीम में आरओ मोहन सिंह रावत, रवि जोशी, अरशद आलम, राजबीर आदि शामिल थे। इससे पहले भी मथुरा की बंदर पकड़ने में महारत हासिल करने वाली ये टीम डीएफओ दून के आमंत्रण पर दून आ चुकी है। कुछ माह पहले इस टीम ने राजभवन में डेरा डाला। लेकिन, उम्मीद के मुताबिक बंदर पकड़ में नहीं आए। खुद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि राजभवन के इर्द-गिर्द रहने वाले बंदर बेहद चालाक हो चुके हैं। फिलहाल राजभवन से बंदरों के आतंक की कंप्लेन नहीं है।