ताराचंद्र हॉस्टल में कार्रवाई के दौरान ब्लॉक वन से मिला बम बनाने का सामान और राइफल की गोली

यही कारण रहा कि कार्रवाई से पहले कई बार इस हॉस्टल में हो चुकी थी बमबाजी

ALLAHABAD: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में डीएसडब्लू कार्यालय से हॉस्टलों में रहने वाले छात्र-छात्राओंकी लिस्ट तैयार की जाती है लेकिन पुरुष हॉस्टल में लिस्ट के हिसाब से नहीं बल्कि दबंगई के साथ ज्यादातर दूसरे लोग रहते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शुक्रवार को देखने को मिला। वॉश आउट की कार्रवाई के तहत विश्वविद्यालय और पुलिस प्रशासन की टीम ने ताराचंद हॉस्टल में कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान हॉस्टल के ब्लॉक ए के बरामदे में बम बनाने का सामान मिला। बरामदे में बारुद, गिट्टी व सुतली इधर उधर पड़ी हुई थी। इतना ही नहीं राइफल की एक गोली भी पड़ी हुई मिली। यही वजह है कि 25 मई को हॉस्टल में एक के बाद तीन बम फोड़कर दहशत फैलाई गई थी। अधिकारियों ने सभी सामानों को जब्त कर लिया गया।

दबंगों के आगे DSW बेबस

हॉस्टलों में अवैध रूप से रहने वालों के सच को खुद विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी भी स्वीकारते हैं। क्योंकि, हॉस्टलों में जिन भी छात्रों को प्रवेश दिया जाता है उनकी लिस्ट डीएसडब्लू ऑफिस में ही तैयार की जाती है। नवप्रवेशी छात्रों से हॉस्टल फीस ली जाती थी लेकिन अधिकतर को कमरा आवंटित नहीं हो पाता था। जबकि इसके लिए सालभर छात्र ऑफिस का चक्कर काटते थे। डीएसडब्लू प्रो। आरकेपी सिंह खुद इस बात को स्वीकार करते हैं। प्रो। सिंह ने बताया कि हॉस्टलों में बहुत से दबंग किस्म के लोग रहते थे। इसकी वजह से जिन छात्रों की फीस जमा होती थी उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता था। इसीलिए वॉश आउट कराकर हॉस्टल में दाखिला देने की तैयारी की जा रही है।

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30 फीसदी से अधिक फर्नीचर गायब

ताराचंद हॉस्टल में सिंगल सीटेड 300 कमरे हैं। वॉश आउट की कार्रवाई पूर्वान्ह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक चली। कार्रवाई के दौरान आधे से अधिक कमरों में सौ से अधिक फर्नीचर का सेट गायब मिला। अधिकतर कमरों के साथ ही स्टोर रुम और मेस की खिड़कियों और दरवाजा टूटा हुआ मिला। कार्रवाई के बाद सभी कमरों और स्टोर रुम में ताला लगा दिया गया है।

कार्रवाई के समय एक ब्लॉक से बम बनाने का सामान पकड़ा गया है। कुर्सी, मेज व तख्ते का एक सेट पांच हजार रुपए का होता है। कार्रवाई के दौरान विश्वविद्यालय की पांच लाख रुपए की संपत्ति का नुकसान पहुंचाया गया है।

प्रो। राम सेवक दुबे,

चीफ प्रॉक्टर