-रोडवेज से कैंट चौराहे तक बना था नो-वेंडिंग, नो पार्किंग जोन

-इस आदेश के पांचवें दिन की पड़ताल में सामने आया सच

VARANASI

आम शहरियों की सुविधा के लिए अफसर भले ही कितनी भी योजनाएं बना लें। जब तक इनका क्रियान्वयन नहीं होगा तब तक इन योजनाओं का कोई मतलब नहीं है। क्रियान्वयन की जिम्मेदारी फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों पर होती है और इनकी लापरवाही से योजनाओं को पलीता लगते देर नहीं लगती। बता दें कि हाल ही में रोडवेज से कैंट तक के इलाके को नो-वेंडिंग और नो-पार्किंग जोन बनाने का आदेश दिया गया था। इस आदेश का कितना पालन कराया जा रहा है, सोमवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसका रियलिटी चेक किया तो फैक्ट कुछ और ही सामने आया।

कमिश्नर-आईजी ने दिए थे आदेश

कमिश्नर दीपक अग्रवाल और आईजी रेंज विजय सिंह मीणा ने 27 जून को रोडवेज बस स्टेशन से कैंट चौराहे तक की रोड का पैदल निरीक्षण किया था। दोनों अफसरों ने पूरे रास्ते को नो-वेडिंग और नो-पार्किंग जोन घोषित कर दिया था। इस दौरान नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस और सिगरा पुलिस को हिदायत भी दी गई थी कि किसी भी सूरत में रोड पर ऑटो-ई-रिक्शा या प्राइवेट सवारी गाडि़यों की पार्किंग न होने दें। इसके साथ ही दोनों पटरियों से ठेले-खोमचे हटाने के लिए भी नगर निगम को कहा गया था।

यह दिखा नजारा

सोमवार को कैंट रोडवेज बस स्टेशन से शुरुआत करते ही सड़क की दोनों पटरियों पर ठेले और खोमचे नजर आने लगे। कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में कई दुकानें लगी हुई थीं तो बाहर सड़क पर भी तमाम टेंपो और ई-रिक्शा धड़ल्ले से सवारियां भर रहे थे। खास बात यह रही कि रोड पर दोनों तरफ दो से तीन लेन में वाहनों की कतार लगी हुई थी और वह आराम से सवारियों का इंतजार भी कर रहे थे।

ट्रैफिक पुलिस ने मूंदी आंखें

मौके पर ट्रैफिक पुलिस के तमाम जवान और होमगार्ड ड्यूटी कर रहे थे। मगर टेंपो और वाहनों की कतार या पटरियों पर कब्जा कर लगाई गई दुकानों पर उनकी जैसे नजर ही नहीं पड़ रही थी। स्थानीय सिगरा थाने या रोडवेज पुलिस चौकी का भी कोई नुमाइंदा मौके पर नहीं दिखा।

तू डाल-डाल, मैं पात-पात

अतिक्रमण हटाए जाने के बाद दुकानदार भी ज्यादा सतर्कता बरत रहे हैं। प्रशासन की चेतावनी मिलने के बाद भी दुकानें लगीं मगर इस तरह से कि मिनटों में इन्हें हटाया जा सके। ज्यादातर ने ठेले और खोमचे में दुकानें लगाई थीं।

'छोटा रीचार्ज' से चल रहा काम

क्षेत्रीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि दुकानें लगाने के पीछे नगर निगम के स्थानीय इंस्पेक्टर और पुलिसकर्मियों का हाथ है। दुकानदारों से अब दिन की जगह घंटे के हिसाब से वसूली की जा रही है। साथ ही यह हिदायत भी है कि अफसरों के आने से पहले दुकानें हटा लेनहोंगी।

पूरी रोड पर निगरानी हो रही है। हालांकि कुछ ठेले वाले और वाहन चालक बार-बार सड़क पर आ जा रहे हैं। इनके खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सुरेशचंद्र रावत, एसपी ट्रैफिक