-राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की पहल

-सरकारी जमाबंदी में होगा सुधार

PATNA: ग्रामीण इलाके में सरकारी जमीन पर पीढि़यों से कब्जा जमाए लोगों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। उन्हें बेदखल करने की योजना बन रही है। राज्य में 42 हजार से अधिक गांव हैं। हरेक गांव में सरकारी जमीन पर कब्जा है। सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करने का अभियान शहरों में ही चलता रहा है। अब इसका रुख गांव की ओर हो रहा है। कुछ लोग बिना वाजिब कागजात के जमीन पर काबिज हैं। जबकि उनकी संख्या अधिक है, जिन्होंने कर्मचारी और अंचलाधिकारी की मिली भगत से अपने नाम पर सरकारी जमीन की जमाबंदी करा रखी है। यह ऐसी जमीन है, जो सरकारी रिकार्ड में सार्वजनिक प्रयोजन के लिए दर्ज है। तालाब, सड़क, नहर, चारागाह, श्मशान और कब्रिस्तान तक की जमीन पर कब्जा है। उस पर मकान-दुकान बना कर लोग रह रहे हैं। कारोबार कर रहे हैं। खेती भी हो रही है।

दर्ज की जाएगी प्राथमिकी

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण के दौरान इस बात की भी जांच होगी कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर किन लोगों का कब्जा है। जिलों में तैनात अपर समाहर्ता राजस्व और अंचलाधिकारियों को कहा गया है कि फर्जी तरीके से हासिल जमाबंदी को रद करें और उसे फिर से सरकारी जमीन के तौर पर जमीन के रिकार्ड में दर्ज करें। सूत्रों ने बताया कि जमीन को मुक्त कराने के लिए स्थानीय प्रशासन की भी मदद ली जाएगी। इसके लिए प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी।

लंबित मामले पर नपेंगे अफसर

हालांकि, सरकार के लिए पीढि़यों से रह रहे लोगों को जमीन से बेदखल करना आसान नहीं है। क्योंकि सरकारी सेवकों की मिली भगत से अपने नाम पर जमाबंदी करा चुके लोग इस जमीन का लगान भी अदा कर रहे हैं। इसबीच, विभाग ने प्रथम चरण के भू सर्वेक्षण वाले 14 जिलों के अंचलाधिकारियों को दाखिल-खारिज मामलों के निष्पादन के लिए अल्टीमेटम दिया है। इसके लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। इस अवधि में दाखिल-खारिज के सभी लंबित मामले नहीं निबटाए गए तो अफसर ही निबट जाएंगे। प्रधान सचिव ने दरभंगा में हुई समीक्षा बैठक में पांच अंचलाधिकारियों को दाखिल-खारिज मामले में सुस्ती के लिए चेतावनी दी थी।