जी हां वही पित्रोदा जिन्हें हम सैम पित्रोदा के नाम से जानते हैं। वह जवाहर लाल नेहरू स्मृति व्याख्यान में शिरकत करने आनंद भवन पहुंचे थे। उन्होंने स्टूडेंट्स को प्रौद्योगिकी की महत्ता बताई। शुरुआत में उन्होंने नेहरू जी से जुड़ी बचपन की यादें शेयर की और कहा कि भारत में राजीव गांधी ने ने टेक्नोलाजी बेस्ड विकास की राह चुनी। इसी की बदौलत हम संचार, दूध और फूड में क्रांति ला सके। डॉक्टर सैम ने कहा कि हमारे पास काम करने के लिए तीन फंडे हैं। पहली डिसपैरिटी है जो आज भी अरबन और रूरल एरिया में बनी हुई है। दूसरा डेमोग्राफी और तीसरा ईजी डेवलपमेंट। इससे हम अपनी क्वालिटी को सुधार सकते हैं.
विकास के तीन तरीके
उन्होंने कहा कि हम तीन सोर्सेज ग्रैविटी, फोर्स आफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और न्यूक्लियर फोर्स की बदौलत देश की तकदीर बदल सकते हैं। देश से गरीबी मिटाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यह सिर्फ टेक्नोलाजी के यूज से संभव है। हमने 64 साल में काफी विकास किया है। पहले फोन अरबन लोगों का शौक हुआ करता था और आज मोबाइल रूरल एरियाज में भी सबके हाथ में है.
Change करो conversation
डॉक्टर सैम ने देश में कनवर्सेशन बदलने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए यूथ को आगे आना होगा। लेकिन, दुर्भाग्य है कि यूथ आगे नहीं आ रहा है। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कन्वसेशन का मतलब किसी के विचारों को फालो करना नहीं है। उदाहरण देते उन्होंने कहा कि जैसे बचपन में हम खेलते हैं। लेकिन, बड़े होने पर जाति-धर्म के नाम पर विभाजित हो जाते हैं, यह कन्वर्सेशन नहीं है। सोचने की जरूरत है कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं.
Technology सभी problems का solution
मिस्टर सैम ने कहा कि टेक्नोलाजी के पास हर प्राब्लम का साल्यूशन है, जरूरत है सोच बदलने की। इस साल देश में फूड उत्पादन का रिकार्ड बना है। यह संभव हुआ है टेक्नोलाजी से। अब हमें यह पता करना है कि भूखे तक भोजन कैसे पहुंचे। सब कुछ कम्प्यूटराइज करके इस समस्या का समाधान भी हम पा सकते हैं। देश की ग्रोथ रेट आज 7-8 प्रतिशत है और फिर भी कोई कहे कि विकास नहीं हो रहा है तो इसका मतलब उसे कुछ पता नहीं है। अध्यक्षता एयू के कुलपति प्रोफेसर एनके सिंह ने की.
आनंद भवन पहुंचे थे सैम जी हां वही पित्रोदा जिन्हें हम सैम पित्रोदा के नाम से जानते हैं। वह जवाहर लाल नेहरू स्मृति व्याख्यान में शिरकत करने आनंद भवन पहुंचे थे। उन्होंने स्टूडेंट्स को प्रौद्योगिकी की महत्ता बताई। शुरुआत में उन्होंने नेहरू जी से जुड़ी बचपन की यादें शेयर की और कहा कि भारत में राजीव गांधी ने ने टेक्नोलाजी बेस्ड विकास की राह चुनी। इसी की बदौलत हम संचार, दूध और फूड में क्रांति ला सके। डॉक्टर सैम ने कहा कि हमारे पास काम करने के लिए तीन फंडे हैं। पहली डिसपैरिटी है जो आज भी अरबन और रूरल एरिया में बनी हुई है। दूसरा डेमोग्राफी और तीसरा ईजी डेवलपमेंट। इससे हम अपनी क्वालिटी को सुधार सकते हैं।
विकास के तीन तरीके उन्होंने कहा कि हम तीन सोर्सेज ग्रैविटी, फोर्स आफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और न्यूक्लियर फोर्स की बदौलत देश की तकदीर बदल सकते हैं। देश से गरीबी मिटाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यह सिर्फ टेक्नोलाजी के यूज से संभव है। हमने 64 साल में काफी विकास किया है। पहले फोन अरबन लोगों का शौक हुआ करता था और आज मोबाइल रूरल एरियाज में भी सबके हाथ में है.
Change करो conversation डॉक्टर सैम ने देश में कनवर्सेशन बदलने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए यूथ को आगे आना होगा। लेकिन, दुर्भाग्य है कि यूथ आगे नहीं आ रहा है। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कन्वसेशन का मतलब किसी के विचारों को फालो करना नहीं है। उदाहरण देते उन्होंने कहा कि जैसे बचपन में हम खेलते हैं। लेकिन, बड़े होने पर जाति-धर्म के नाम पर विभाजित हो जाते हैं, यह कन्वर्सेशन नहीं है। सोचने की जरूरत है कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं.
Technology सभी problems का solution मिस्टर सैम ने कहा कि टेक्नोलाजी के पास हर प्राब्लम का साल्यूशन है, जरूरत है सोच बदलने की। इस साल देश में फूड उत्पादन का रिकार्ड बना है। यह संभव हुआ है टेक्नोलाजी से। अब हमें यह पता करना है कि भूखे तक भोजन कैसे पहुंचे। सब कुछ कम्प्यूटराइज करके इस समस्या का समाधान भी हम पा सकते हैं। देश की ग्रोथ रेट आज 7-8 प्रतिशत है और फिर भी कोई कहे कि विकास नहीं हो रहा है तो इसका मतलब उसे कुछ पता नहीं है। अध्यक्षता एयू के कुलपति प्रोफेसर एनके सिंह ने की.
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