-शासन ने जारी की एडवाइजरी, पोल्ट्री फार्मो पर नजर रखने के आदेश
-संचालकों को दी जाएगी ट्रेनिंग, इस सीजन में बढ़ जाती है डिमांड
PRAYAGRAJ: बर्ड फ्लू का अभी कोई प्रभाव नहीं है फिर भी सतर्क रहना जरूरी है। यह कहना है स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का। शासन के आदेश पर विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही पोल्ट्री फॉर्म के संचालकों को जरूरी दिशा-निर्देश दिया गया है। बता दें कि इस सीजन में स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे बचाव बेहद जरूरी है।
खतरनाक है पक्षियों की सामूहिक मौत
अधिकारियों का कहना है कि पोल्ट्री फार्म में एक साथ कई पक्षियों की मौत होती है तो इसकी जानकारी तत्काल जिला प्रशासन को दी जाए। वेटनरी डॉक्टर द्वारा मामले की जांच कराई जाएगी। इस संबंध में विकास भवन में स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग की ओर से बैठक का भी आयोजन किया गया। इसमें जिला संक्रामक रोग अधिकारी डॉ। एएन मिश्रा ने कहा कि अफवाहों में पड़ने के बजाय सूचना का आदान प्रदान अधिक से अधिक किया जाए।
प्रयागराज में अधिक खतरा
डॉक्टर्स का कहना है कि शहर में आने वाले विदेशी पक्षियों से भी बर्ड फ्लू का खतरा हो सकता है। इनके जरिए देशी पक्षियों में यह वायरस फैलने की संभावना रहती है। बता दें कि इस सीजन में संगम एरिया में साइबेरियन पक्षी भारी मात्रा में आते हैं और मार्च तक रहते हैं। इसलिए प्रशासन की ओर से इन पर भी नजर रखी जा रही है।
यह है बर्ड फ्लू
-यह एवियन इन्फ्लूएंजा (एच 5 एन वन) वायरस बर्ड फ्लूु नाम से पॉपुलर है। यह इंफेक्शन चिकन, टर्की, ग्रीस और बत्तख सहित इंसानों को अधिक प्रभावित करता है।
लक्षण
-बुखार
-हमेशा कफ रहना
-नाक बहना
-सिर में दर्द रहना
-गले में सूजन
-मांसपेशियों में दर्द
-दस्त होना
-हर वक्त उल्टी महसूस होना
-आंख में कंजक्टवाइटिस
सावधानियां
-मरे हुए पक्षियों से दूर रहें
-आसपास किसी पक्षी की मौत होती है इसकी जानकारी संबंधित विभाग को दें
-बर्ड फ्लू वाले एरिया में नॉनवेज न खाएं
-साफ-सफाई वाली दुकान से ही नॉनवेज खरीदें
इलाज
-डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज करें।
-पूरी तरह से आराम करना चाहिए
-हेल्दी डायट लेनी चाहिए
-लिक्विड पर अधिक आश्रित रहें
-मरीज को एकांत में रखा जाना चाहिए
वर्जन
इस सीजन में सतर्क रहने में कोई बुराई नहीं है। किसी परेशानी से निपटने के लिए पोल्ट्री फार्म संचालकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि वह पक्षियों की मौत होने पर उसे ठीक से हैंडल कर सकें।
-डॉ। एएन मिश्रा, जिला संक्रामक रोग अधिकारी