- ओरल म्युकोसा से बना दिए बच्ची के प्राइवेट पार्ट

- केजीएमयू के डॉक्टर्स ने विश्व में पहली बार की ऐसी सर्जरी

LUCKNOW: केजीएमयू में हुई एक साढ़े तीन घंटे की सर्जरी को आप किसी चमत्कार से कम नहीं मानेंगे। डॉक्टर्स के मुताबिक ये विश्व में अपनी तरह की पहली ऐसी सर्जरी है, जिसमें बच्ची के ओरल म्युकोसा (मुंह के अंदर की खाल) से ही उसके प्राइवेट पार्ट्स बना दिए गए। बच्ची एक ऐसी बीमारी से पीडि़त थी, जो ढाई हजार बच्चों में से किसी एक को होती है। जन्मजात विकृति के चलते इस 11 साल की बच्ची के प्राइवेट पा‌र्ट्स ही विकसित नहीं हुए थे। लेकिन, डॉक्टर्स का दावा है कि अब ये बच्ची सामान्य तरह से जीवन बिता सकेगी और सर्जरी के निशान भी बाकी नहीं रहेंगे।

एमआरकेएच सिंड्रोम से पीडि़त थी बच्ची

बस्ती निवासी 11 वर्षीय बच्ची के शरीर में जन्म से ही प्राइवेट पार्ट विकसित नहीं थे। बड़े होने पर उसकी समस्या बढ़ती गईं, जिसके बाद पैरेंट्स उसे लेकर केजीएमयू आए। प्रो। एसएन कुरील ने बच्ची की जांच की। जांच के बाद पता चला कि बच्ची जन्मजात विकृति 'एमआरकेएच सिंड्रोम विथ वेस्टीबुलर फिस्चुला' से पीडि़त थी। एमआरआई जांच में पता चला कि प्राइवेट पार्ट विकसित ही नहीं हुए हैं।

बेहद मुश्किल थी सर्जरी

डॉक्टर्स के मुताबिक करीब ढाई हजार बच्चियों में से एक को ऐसी पैदायशी दिक्कतें होती हैं। बच्ची का आंतरिक स्ट्रक्चर तो ठीक था, लेकिन बाहरी स्ट्रक्चर ठीक नहीं है। चुनौती यह भी थी कि भविष्य में उसके शरीर पर कोई निशान न दिखे ताकि शादी में दिक्कत न आए। डॉक्टर्स की टीम ने साढ़े तीन घंटे तक सर्जरी की। सबसे पहले एनल स्फिंटर बनाया गया फिर रेक्टम (मलाशय) को नीचे लाया गया। मुंह की म्युकोसा से प्राइवेट पार्ट बना दिए गए।

केजीएमयू में उपलब्ध है इलाज

प्रो। एसएन कुरील ने बताया कि बच्चों के प्राइवेट पा‌र्ट्स से संबंधित विकृतियों, अंग विकसित न होने संबंधी दिक्कतों के लिए सर्जरी का इलाज केजीएमयू में उपलब्ध है। देश-विदेश के केसेज भी केजीएमयू रेफर किए जाते हैं।

व‌र्ल्ड कांग्रेस में मिली सर्जरी को जगह

सर्जरी को अक्टूबर माह में यूएस में होने वाली पीडियाट्रिक सर्जरी की व‌र्ल्ड कांग्रेस में स्वीकार कर लिया गया है, जहां पर प्रो। कुरील पेश करेंगे। डॉ। कुरील ने बताया कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट बने ही नहीं थे। उन्होंने बताया कि इंपरफोरेट एनस की समस्या में पहले आंत से स्किन लेकर उससे अंग बनाते थे। लेकिन, यह अपनी तरह का विश्व में पहला मामला है जब दो अंग की सर्जरी एक बार में ही डॉक्टर्स ने अंजाम दी। इस वजह से इस सर्जरी को व‌र्ल्ड पीडियाट्रिक कांग्रेस के लिए भी स्वीकार किया गया है। प्रो। कुरील के अनुसार ओरल म्युकोसा से सर्जरी के तीन केस रिपोर्टेड हैं, लेकिन एक साथ दो सर्जरी किसी संस्थान में नहीं की गई।

इस टीम ने की सर्जरी

सर्जरी में प्रो। एसएन कुरील के अलावा डॉ। आनंद पांडेय, डॉ। अर्चिका, डॉ। दिगंबर, डॉ। अजय, डॉ। सुनील, एनेस्थीसिया से डॉ। विनीता सिंह व उनकी टीम और सिस्टर वंदना व राजदेई शामिल रही।