GAYA/PATNA: बिहार में नक्सलियों की आर्थिक हैसियत पर केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा लगातार प्रहार के बावजूद राज्य के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार गया के बाराचट्टी अनुमंडल के दर्जन भर गांवों में नक्सली पिछले एक दशक से अपने आतंक का बाजार सजाने के लिए नशे की खेती करा रहे हैं.बाराचट्टी में पहाडि़यों की तलहटी में बसे करीब एक दर्जन गांवों में पिछले एक दशक से नक्सलियों के संरक्षण में अफीम की खेती की जा रही है। हर साल नारकोटिक्स कंट्रोल ?यूरो (एनसीबी), खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआइ) और स्थानीय जिला प्रशासन खुफिया एजेंसियों की सूचना पर इन गांवों में अफीम की फसल को नष्ट करती रही है। एनसीबी की मानें तो पिछले साल बाराचट्टी के विभिन्न गांवों में करीब ढाई सौ एकड़ में लगे अफीम के पौधों पर दवा का छिड़काव कर उन्हें नष्ट किया था। इस साल भी खुफिया एजेंसियों ने उन गांवों में करीब चार सौ एकड़ के रकबे में अफीम की फसल लगाए जाने की सूचना एनसीबी, डीआरआइ और स्थानीय जिला प्रशासन को दे दी है। नक्सलियों के लिए बाराचट्टी जैसे अपने आधार क्षेत्र में अफीम की खेती हमेशा से मोटी कमाई का जरिया रहा है। अफीम की फसल तीन माह में ही तैयार हो जाती है। नवंबर महीने में इसकी बुआई जाती है और जनवरी में फसल में फूल आ जाते हैं।

गांवों में हो रही अफीम की खेती

बाराचट्टी के जिन गांवों में अफीम की अवैध खेती की सूचना खुफिया एजेंसियों ने दी है, उनमें कदल, खजुराइन, चारदाहा, भलुआ, नारे, पिपराही, डांग, खैरा, सोमिया, दोआठ और ऊपरी गोहिया जैसे पहाड़ी की तलहटियों में बसे गांव शामिल हैं। ये सभी गांव अत्यधिक नक्सल प्रभावित गांवों की सूची में हैं।

बाराचट्टी में हो रही अफीम की खेती के संबंध में खुफिया एजेंसियों ने एनसीबी के साथ डीआरआइ और जिला प्रशासन को आगाह कर दिया है। एसएसबी को भी सूचना दी गई है। तैयारी के साथ इसे नष्ट करने की कार्रवाई करेंगे।

-टीएन सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, एनसीबी, पटना