AGRA: भारत में 1960 केआंकड़ों के अनुसार सेक्स की उम्र 18 वर्ष थी, चौंकाने वाली बात यह है कि यह उम्र 2014 में वह घटकर 14 वर्ष रह गई है। भारत में भी अब अन्य देशों की तरह से खुलेपन का प्रचलन बढ़ गया है। इंटरनेट और टीवी के बढ़ते प्रभाव और समाज में आ रहे बदलावों के कारण अब भारत जैसे देश में लड़के और लड़कियां कम उम्र में भी शारीरिक संबंध बनाने में हिचकते नहीं है।

उम्र घटने के कारण

डॉ। अंशु के अनुसार आज कम उम्र में ही रिलेशन बनने के लिए एक बड़ा कारण एकल परिवार, इंटरनेट और माता-पिता दोनों का कामकाजी होना कह सकते है। बच्चों के पास अपनी भावनाएं शेयर करने के लिए उनके माता-पिता के पास व्यस्त जीवन शैली के दौर में समय में ही नहीं। आज के दौर में यह स्थित बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है।

शिक्षक और गायनेकोलॉजिस्ट करें काउंसिलिंग

कलाकृति में आयोजित आईकॉग में सेक्स एजूकेशन इन इंडिया-नीड ऑफ द आवर में हुए पैनल डिसकशन में डॉक्टरों ने इस विषय पर विचार मंथन किया। पैनल में मौजूद फिलीपीन्स के डॉ। रोनाल्टो, डॉ। अर्चना चौहान, डॉ। रंजू अग्रवाल आदि शामिल थे। उन्होंने कहा कि सेक्स सम्बंधी आधी-अधूरी जानकारी बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। वह इस सम्बंध में माता-पिता से बात करने में झिझकते हैं और अपने साथियों से उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती। ऐसे में बच्चों को सही दिशा दिखाने का सबसे बड़ा दायित्व गायनेकोलॉजिस्ट व शिक्षकों का है।

स्कूलों में काउंसिलिंग जरूरी दिक्कत होने से पहले मिले हल

लेडी लॉयल किशोरी परामर्श केंद्र की काउंसलर रूबी बघेल के अनुसार उनके पास प्रति माह आठ से 10 किशोरियां इस प्रकार की पहुंच रहीं है। यह इस बात को स्वीकार कर रहीं है कि उन्होंने गलती से ही सही पर रिलेशन बनाए हैं। जब उनका पीरियड अनियमित होता है तब घबराती हुई उनसे सलाह के लिए पहुंचती हैं। काउंसलर रूबी के अनुसार इस रिलेशन को कम उम्र में बनने से रोका जा सकता है। अगर स्कूलों में भी काउंसिलिंग शुरू कर दी जाए। इसके अलावा सेक्स की शिक्षा दी जाए उम्र से पहले रिलेशन बनाने के नुकसान को बताया जाए तो इस पर कंट्रोल लग सकता है।

सिटी में लड़कियों से ज्यादा लड़के बना रहे रिश्ते

आगरा जिला अस्पताल में लड़कों की संख्या लड़कियों से भी डबल है। काउंसलर अरविंद के अनुसार आज 10 में से तीन लड़के 14-15 साल में ही रिलेशन बना रहे हैं। इसके लिए उनके पास प्रतिमाह करीब 10 से 15 लड़के पहुंच रहे हैं। रिलेशन बनाने के बाद एचआईवी के भय से कुछ लोग अपने टेस्ट करवाने के लिए जब पहुंचते हैं तब इस बात के लिए पहले उनकी काउंसिलिंग की जाती है।

फ्लेवर्ड कंडोम करें संभलकर इस्तेमाल!

आईकॉग में भाग लेने आए विशेषज्ञों ने चेताया कि फ्लेवर्ड कंडोम स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। यह सिर्फ ओरल सेक्स के लिए बने हैं। वेजाइनल सेक्स करने पर इससे बैक्टीरियल इन्फेक्शनहो सकता है। जिसका कारण है इसमें पॉलीसेकराइट्, सैकरीन, एसपार्टिव प्रयोग किया जाता है। कैसरीन वेजाइना को ड्राई कर देती है, जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

मार्केट में लगनी चाहिए रोक

डॉ। मुकेश चंद्रा ने कहा कि भारत में बिना प्रिसक्रिप्शन के कंडोम व गर्भपात की गोलियों पर रोक लगनी चाहिए। इनके आसानी से उपलब्ध होने की वजह भी से ही सेक्स की उम्र में कमी आ रही है। कंपनियों को भी इसके साथ वार्निग देनी चाहिए। फॉग्सी इस विषय पर सरकार से चर्चा कर रही है। पैनल डिस्कसन में होमो सेक्सुएलिटी पर चर्चा हुई, जिसमें कहा गया कि इससे एचआईवी व रेबुला जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।