-मंडे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने किया विरोध

-विपक्ष के विरोध के चलते तीन बार सदन की कार्यवाही रही स्थगित

देहरादून, उत्तराखंड चार धाम श्राइन बोर्ड का विरोध जारी है। मंडे को श्राइन बोर्ड विधेयक का विरोध सड़क से लेकर सदन तक रहा। शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। यहां तक की कांग्रेस के विधायकों ने प्रश्नकाल तक नहीं चलने दिया। आरोप लगाया कि सरकार बोर्ड को लेकर सदन में चुपके विधेयक लाई है। कांग्रेस ने हंगामा करते हुए विधेयक वापस करने की मांग की और सत्र के दौरान दिनभर विरोध जारी रखते हुए सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। विधायकों के सदन में नारेबाजी, विरोध प्रदर्शन के कारण तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित रही।

संसदीय परंपरा याद दिलाई

मंडे को जैसे ही सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। लीडर अपोजिशन डॉ। इंदिरा हृदयेश ने कार्यसूची में श्राइन बोर्ड मैनेजमेंट विधेयक को पेश करने की सूचना पर अपना विरोध जताया। कहा कि सदन की परंपरा है कि जो भी विधेयक सदन में लाया जाता है, उसे कार्यमंत्रणा की बैठक में रखा जाता है। लेकिन यहां सरकार बिना सूचना के इसे सदन में लाकर नियमों को तोड़ रही है। उन्होंने कहा कि जिस बोर्ड के विधेयक को लेकर पूरा तीर्थ व पंडा समाज विरोध में कई दिनों से आंदोलन पर उतारू है, उस विधेयक को सरकार संसदीय परंपराओं को दरकिनार कर गुपचुप तरीके से सदन में पेश कर रही है। उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने कहा कि सरकार इसे वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर लाने की बात कह रही है। वहां केवल एक देवी का मंदिर है। जबकि उत्तराखंड में सभी देवी देवताओं के सेपरेट मंदिर हैं। सभी मंदिरों में पूजा अर्चनाओं की पूजा पद्धति भी सेपरेट है। जिन मंदिरों पर श्राइन बोर्ड अमल में नहीं लाया जा सकता है।

बिल वापसीे की डिमांड

केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। आरोप लगाए कि सरकार क्या छिपाना चाहती है। वर्षो से चली आ रही परंपरा को तोड़कर सरकार तीर्थ पुरोहितों व पंडों के हक हकूकों पर हमला करने की तैयारी कर रही है। उन्होंने सरकार से बिल वापस करने की डिमांड की। इस दौरान कांग्रेस के विरोध के बीच पीठ ने प्रश्नकाल शुरू किया। लेकिन कांग्रेस के विधायक वेल में आकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। विधायक वेल में ही धरने पर बैठ गए और वेल में ही श्रीमन नारायण-नारायण भजन जपने लगे। पीठ के लगातार आग्रह के बावजूद जब विपक्षी विधायक नहीं माने तो सदन स्थगित कर दिया गया। दोबारा जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई। कांग्रेस ने अपना विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस का कहना था कि श्राइन बोर्ड केवल पर्वतीय जिलों में ही लागू न किया जाए। लेकिन सरकार इस मामले में धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है। इस दौरान सदन में कांग्रेसी व भाजपा विधायकों के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई। लेकिन कांग्रेस के विरोध, प्रदर्शन व हंगामे के बीच दोपहर साढ़े बारह बजे सदन पटल में श्राइन बोर्ड विधेयक पेश किया गया। कांग्रेसी विधायकों के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही जारी रही।