- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में चल रहा अजब-गजब खेल

-आर्थो ओपीडी के पांच डॉक्टर गायब, फिजियोथेरेपिस्ट लिख रहा हड्डी के मरीजों को दवा

- पैरासिटामॉल और गैस की दवा से करते बीमारी का इलाज

- वहीं, स्किन ओपीडी में मरीजों को देख रहा एड्स काउंसलर

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GORAKHPUR: आपने कभी सुना है कि ट्रक ड्राइवर एयरो प्लेन उड़ाता है और हॉकी का प्लेयर क्रिकेट सिखाता है। नहीं ना, क्योंकि ये पॉसिबल नहीं है। लेकिन गोरखपुर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हर चीज पॉसिबल है। यहां डेली दो हजार से भी अधिक मरीज अपनी बीमारी का इलाज कराने आते हैं। जिनकी जिंदगी के साथ यहां इलाज के नाम पर मजाक किया जा रहा है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की हालत ये है कि आर्थो ओपीडी में फिजियोथेरेपिस्टहड्डी की गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। वहीं एड्स का काउंसलर स्कीन की ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखकर दवाएं लिख रहा है। ये खुलासा हुआ दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग में जहां खुलेआम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होता मिला।

'अभी डॉक्टर नहीं आए हैं'

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बुधवार को सबसे लंबी कतार आर्थो ओपीडी में देखने को मिली। मरीजों की लंबी कतार में किसी तरह दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने भी जगह बना ली। रिपोर्टर ने आर्थो ओपीडी में अंदर झांककर देखा तो वहां एक शख्स मरीजों को देखकर दवाएं लिख रहा था। इस बीच कई स्पेशल टाइप के लोग अंदर जाने लगे तो ओपीडी पर खड़े चपरासी ने उन्हें रोककर धीरे से कहा कि बाद में आइएगा अभी डॉक्टर नहीं आए हैं।

बिना डॉक्टर निपटा दिए सैकड़ों मरीज

ये बात सुनकर रिपोर्टर ने चपरासी से पूछा कि डॉक्टर नहीं हैं तो फिर अंदर मरीजों को कौन देख रहा है। इस बात पर उसने नाक-मुंह सिकोड़ अवाइड कर दिया। जबकि उस समय सुबह के 11 बज रहे थे। रिपोर्टर ने चपरासी से फिर पूछा कि ओपीडी कितने बजे शुरू हुई है। इस पर जवाब आया कि सुबह 7.30 बजे ओपीडी शुरू हुई है। इसका मतलब दिन में 11 बजे बिना डॉक्टर के ही सैकड़ों मरीजों को निपटा दिया गया।

बिना पूछे लिख दिया पैरासिटामॉल

लाइन में खड़े एक मरीज चन्द्र प्रकाश जिसकी अंगुलियों में गांठ थी और पांचों उंगलियां टेढ़ी हो गई थीं। उसका सहारा लेकर रिपोर्टर उसके साथ ओपीडी में घुसा। यहां तो गजब तमाशा देखने को मिला। अंदर बैठे साहब ने चन्द्र प्रकाश की तरफ देखा भी नहीं और ना ही कुछ पूछा। पर्चा लिया, बगल में बैठी एक महिला से बात करते-करते ही पैरासिटामॉल और गैस की एक दवा लिखकर उसे चलता कर दिया। चन्द्र प्रकाश ने बताया कि इससे पहले भी यही डॉक्टर देखे थे और यही दवा लिखकर बाहर भेज दिए जिससे कोई फायदा नहीं है।

डॉक्टर नहीं निकला फिजियोथेरेपिस्ट

इसके बाद फिर कई लोग आए जिन्हें भी चपरासी ने ये कहकर कि डॉक्टर नहीं हैं लौटा दिया। रिपोर्टर ने फिर उससे रिक्वेस्ट करते हुए पूछा कि जो इलाज कर रहा है वो डॉक्टर नहीं है क्या। इस बार चपरासी धीरे से बोला कि डॉक्टर होता तो बताते नहीं। रिपोर्टर ने फिर पूछा कि डॉक्टर नहीं है तो फिर दवाएं कैसे लिख रहा है। इस पर उसने मुस्कराते हुए कहा कि ये फिजियोथेरेपिस्ट हैं। इनका नाम रविन्द्र ओझा है। रिपोर्टर ने पूछा ये कैसे इलाज कर रहे हैं तो चपरासी मुस्कराकर बोला अब जाने दीजिए।

'नहीं आएंगे डॉक्टर'

रिपोर्टर ने चपरासी से पूछा कि डॉक्टर कब आएंगे तो उधर से जवाब आया कि कोई ठीक नहीं है। लेकिन करीब 11.20 पर सर्जन डॉ। प्रमोद त्रिपाठी आ गए। उनके आने के बाद भी फिजियोथेरेपिस्ट इलाज करता रहा।

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एमआर का लगता जमावड़ा

बाहर की दवा लिखवाने के लिए कुछ एमआर भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आते-जाते रहते हैं। सूत्रों की मानें तो बाहर की दवा से ही अंदर की दुकानदारी भी चल रही है।

आर्थो के पांच डॉक्टर

आर्थो ओपीडी के बाहर सर्जन डॉ। प्रमोद त्रिपाठी, डॉ। एके झा, डॉ। वीपी सिंह, डॉ। आरके सिंह, डॉ। राकेश कुमार, डॉ। राजन शाही का बोर्ड लगा है। सोचने वाली बात है कि छह डॉक्टर्स के होते हुए भी फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों का इलाज कर रहा है।

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एचआईवी कांउसलर भी लिखता दवा

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एचआईवी के काउंसलर विजय कांत त्रिपाठी एड्स मरीजों की काउंसिलिंग करते हैं। बुधवार को 29 नंबर कमरे में ये स्किन मरीजों को देखकर दवाएं लिख रहे थे।

ये दिखे हालात

- बुधवार को 2135 नए मरीजों का हुआ रजिस्ट्रेशन।

- आर्थो ओपीडी में सबसे लंबी लाइन दिखी।

- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आर्थो के 5 सर्जन तैनात हैं।

- फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों को देखकर दवाएं लिखता है।

- एसआईसी के अनुसार फिजियोथेरेपिस्ट केवल रजिस्टर मेंटेन करता है।

- पैरासिटामॉल से बड़े से बड़े हड्डी रोग का हो रहा इलाज।

- एड्स काउंसलर अपना कमरा छोड़ 29 नंबर में देखते स्किन के मरीज।

वर्जन

कुछ मशीनें लग रही थीं। हो सकता है डॉक्टर वहां राउंड पर गए रहे हों। फिजियोथेरेपिस्ट का काम मरीजों का रजिस्टर मेंटेन करना है। एड्स के काउंसलर स्किन की दवाएं लिख सकते हैं। अगर फिजियोथेरेपिस्ट ने दवाएं लिखी हैं तो इनकी क्लास ली जाएगी। मरीजों की सेहत के साथ कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

डॉ। एके सिंह, एसआईसी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल