अब जा कर जागा AIIMS administration

Patna : आखिरकार एम्स एडमिनिस्ट्रेशन की आंखें खुल गईं। एम्स में अप्वाइंटमेंट को लेकर पिछले दस दिनों से हॉस्पीटल बिल्डिंग में ही बिक रहा फॉर्म फर्जी है। इस फॉर्म पर किसी की अप्वाइंटमेंट नहीं होगी। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि एम्स के डायरेक्टर के अदेशानुसार न्यूज पेपर में निकला विज्ञापन कह रहा है. 
एम्स ने झाड़ा अपना पल्ला
एम्स के डायरेक्टर ने फर्जी वैकेंसी के खिलाफ जनहित में सूचना निकाल कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। डायरेक्टर डॉ। गिरिश कुमार सिंह ने विज्ञापन के जरिए कहा है कि एंटीसोशल एलिमेंट्स की ओर से यह भ्रमक प्रचार किया जा रहा था। इससे एम्स एडमिनिस्ट्रेशन का कोई लेना देना नहीं है। जबकि पिछले दस दिनों से एम्स के गेट एक नोटिस चिपकी थी कि फॉर्म भरने की आखिरी डेट 22 सितंबर शाम पांच बजे है। फॉर्म भी एम्स की बिल्डिंग मिनिस्टर ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया वाल्मी में जमा हो रहा था। फॉर्म जमा लेने वाले भी एम्स के इंप्लाई गार्ड थे। कैंडिडेट ने फॉर्म भरने से पहले एम्स के एचआर से बात भी की थी। वहां आश्वासन दिया गया था कि फॉर्म के आधार पर ही सेलेक्शन किया जाएगा। इतना सब कुछ हुआ। लोगों ने एम्स के नाम पर विश्वास किया और पचास हजार से अधिक लोगों ने फॉर्म जमा भी किए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला और इसे फर्जी करार कर दिया गया.
अब तक कोई कार्रवाई नहीं 
एम्स के नाम पर बड़े पैमाने पर फॉर्म की बिक्री और उसके नाम पर लाखों की कमाई की गयी, लेकिन अब तक इसमें शामिल किसी पर भी कोई कार्रवाई की बात डायरेक्टर डॉ। गिरिश कुमार सिंह ने नहीं की है। जबकि एम्स के गेट के सामने चल रहे फोटो स्टेट सेंटर पर हर दिन हजारों प्रिंटेड फॉर्म निकलते रहे और बिकते रहे। बिल्डिंग का गार्ड भी इस गोरखधंधे में शामिल था। सोर्सेज की मानें तो एम्स के दफ्तर से ही फॉर्म की डम्मी को निकालकर मार्केट में फैलाया गया था। ताकि एम्स में नौकरी के नाम पर जमकर पैसों की कमाई की जाए। ऐसा हुआ भी। चौंकाने वाली बात थी कि यह सारी घटना कई दिनों से पुलिसिया देखरेख में चल रही थी। लेकिन किसी ने यह नहीं समझा कि एम्स के नाम पर फर्जीवाड़े का धंधा चल रहा है.
जब पहुंची थी आई नेक्स्ट की टीम 
एम्स में नौकरी के नाम पर फॉर्म जमा करने वालों से बात की गयी तो कई लोग गुस्से में आ गए और चले जाने के लिए कहने लगे। कुछ ने पहले ही बता दिया कि अगर खबर छपी तो फिर फॉर्म रिजेक्ट हो जाएगा। इस पर स्टूडेंट्स भी भड़क गए। क्योंकि फॉर्म जमा करने के साथ ही उनका सपना भी पूरा हो रहा था। खैर आई नेक्स्ट में खबर छपने के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने विज्ञापन के जरिए जनहित में इसकी सूचना दे दी। विज्ञापन देखने के बाद सुमित, गौतम और रविकांत ने बताया कि लोकल लोगों को प्रायोरिटी मिलेगी। इस वजह से हमलोगों ने फॉर्म भरा और अब नतीजा लोगों के सामने है।  

एम्स ने झाड़ा अपना पल्ला
एम्स के डायरेक्टर ने फर्जी वैकेंसी के खिलाफ जनहित में सूचना निकाल कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। डायरेक्टर डॉ। गिरिश कुमार सिंह ने विज्ञापन के जरिए कहा है कि एंटीसोशल एलिमेंट्स की ओर से यह भ्रमक प्रचार किया जा रहा था। इससे एम्स एडमिनिस्ट्रेशन का कोई लेना देना नहीं है। जबकि पिछले दस दिनों से एम्स के गेट एक नोटिस चिपकी थी कि फॉर्म भरने की आखिरी डेट 22 सितंबर शाम पांच बजे है। फॉर्म भी एम्स की बिल्डिंग मिनिस्टर ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया वाल्मी में जमा हो रहा था। फॉर्म जमा लेने वाले भी एम्स के इंप्लाई गार्ड थे। कैंडिडेट ने फॉर्म भरने से पहले एम्स के एचआर से बात भी की थी। वहां आश्वासन दिया गया था कि फॉर्म के आधार पर ही सेलेक्शन किया जाएगा। इतना सब कुछ हुआ। लोगों ने एम्स के नाम पर विश्वास किया और पचास हजार से अधिक लोगों ने फॉर्म जमा भी किए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला और इसे फर्जी करार कर दिया गया।

अब तक कोई कार्रवाई नहीं 
एम्स के नाम पर बड़े पैमाने पर फॉर्म की बिक्री और उसके नाम पर लाखों की कमाई की गयी, लेकिन अब तक इसमें शामिल किसी पर भी कोई कार्रवाई की बात डायरेक्टर डॉ। गिरिश कुमार सिंह ने नहीं की है। जबकि एम्स के गेट के सामने चल रहे फोटो स्टेट सेंटर पर हर दिन हजारों प्रिंटेड फॉर्म निकलते रहे और बिकते रहे। बिल्डिंग का गार्ड भी इस गोरखधंधे में शामिल था। सोर्सेज की मानें तो एम्स के दफ्तर से ही फॉर्म की डम्मी को निकालकर मार्केट में फैलाया गया था। ताकि एम्स में नौकरी के नाम पर जमकर पैसों की कमाई की जाए। ऐसा हुआ भी। चौंकाने वाली बात थी कि यह सारी घटना कई दिनों से पुलिसिया देखरेख में चल रही थी। लेकिन किसी ने यह नहीं समझा कि एम्स के नाम पर फर्जीवाड़े का धंधा चल रहा है।

जब पहुंची थी आई नेक्स्ट की टीम 
एम्स में नौकरी के नाम पर फॉर्म जमा करने वालों से बात की गयी तो कई लोग गुस्से में आ गए और चले जाने के लिए कहने लगे। कुछ ने पहले ही बता दिया कि अगर खबर छपी तो फिर फॉर्म रिजेक्ट हो जाएगा। इस पर स्टूडेंट्स भी भड़क गए। क्योंकि फॉर्म जमा करने के साथ ही उनका सपना भी पूरा हो रहा था। खैर आई नेक्स्ट में खबर छपने के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने विज्ञापन के जरिए जनहित में इसकी सूचना दे दी। विज्ञापन देखने के बाद सुमित, गौतम और रविकांत ने बताया कि लोकल लोगों को प्रायोरिटी मिलेगी। इस वजह से हमलोगों ने फॉर्म भरा और अब नतीजा लोगों के सामने है।