ये है मामला
सुप्रीम कोर्ट के AIPMT की बीती परीक्षा को खारिज करने के बाद CBSE की ओर से ये पहली बार इस तरह का सर्कुलर जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछली परीक्षा में हरियाणा और राजस्थान के कई सेंटर्स में नकल के पकड़े जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा परीक्षा का आदेश जारी किया था। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बेंच हेड एच एल दत्तू शुक्रवार को स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIOI) नाम के मुस्लिम संगठन की ओर से दायर की गई इस PIL की सुनवाई करेंगे।  

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया
हालांकि याचिकाकर्ताओं की संख्या सीमित ही है। इसके बावजूद बोर्ड की अधिसूचना पर गंभीर आपत्ति जताई गई है। बोर्ड की ओर से न सिर्फ स्कार्फ और दुपट्टा सिर पर पहनने से मना किया गया है, बल्कि कैंडीडेट्स को हाफ स्लीव्स के और बिना बड़ी बटनों वाले कपड़े पहनने को भी कहा गया है। इस पूरे मामले को लेकर SIOI की ओर से केस की पैरवी कर रहे वकील शादान फरस्त ने बताया कि तीन याचिकाकर्ता मुस्लिम लड़कियां ही हैं। इन्होंने अपनी धार्मिक परंपरा के अनुसार कपड़े पहन रखे थे। इस परंपरा के अनुसार इनको सिर पर स्कार्फ पहनना बेहद जरूरी है। ऐसे में इन्हें स्कार्फ के सिर पर टिके रहने के लिए हेयरपिन का भी इस्तेमाल करना पड़ता है। इसके अलावा धार्मिक परंपराओं के अनुसार इन्हें बाहरी लोगों के सामने जाने के लिए पूरी बाजुओं के कपड़े भी पहनने पड़ते हैं। ऐसे में अब अगर ये लड़कियां बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार अपनी इन परंपराओं के खिलाफ नहीं जाएंगी, तो वह 25 जुलाई को होने वाली AIPMT की परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगी। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत उनके अधिकारों को न मानने को लेकर उन्हें बाध्य करने के अधिकार के खिलाफ होगा।

ऐसा कहना है लड़कियों का
गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट ने 21 जुलाई 2015 को दो याचिककर्ता लड़कियों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर परीक्षा में शामिल होने की इजाजत दी थी। वहीं फरस्त ने बताया कि इन लड़कियों को परीक्षा से पहले महिला स्टाफ की ओर से की जाने वाले किसी भी तरह की चेकिंग से कोई ऐतराज नहीं है। वो हर तरह की तलाशी के लिए तैयार हैं, लेकिन बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार अपनी प्रथा के खिलाफ नहीं जा सकतीं।  

इसलिए उठाया बोर्ड ने ये कदम
CBSE ने इस तरह का सर्कुलर पहली बार जारी किया है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि AIPMT की पिछली परीक्षा को सु्प्रीम कोर्ट की ओर से निरस्त करके उसे दोबारा 25 जुलाई को कराने के आदेश हुए थे। पिछली परीक्षा में हरियाणा और राजस्थान के सेंटर्स में बड़ी मात्रा में नकल के पकड़े जाने के बाद कोर्ट की ओर से  ये कदम उठाया गया था। पुलिस के अनुसार कैंडीडेट्स के पास से बड़ी मात्रा में ब्लूटूथ डिवाइस और सिम कार्ड मिले थे। वहीं बोर्ड के आदेश को लेकर मुस्लिम संगठनों और तीन मुस्लिम महिला उम्मींदवारों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी धार्मिक परंपराओं के अनुसार हिजाब पहनना उनके लिए जरूरी है। उसको सिर पर टिकाने के लिए उसे पिन से अटकाना भी जरूरी है। इसके अलावा उनके लिए कहीं भी बाहर जाने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना भी जरूरी है।

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