- अपराधियों से ज्यादा नेताओं की हुई एके-47 से हत्या

- कृष्णानंद राय के अलावा वीरेंद्र विक्रम टाटा समेत कई शामिल

- गाजियाबाद में भी 24 साल पहले गरजी थी एके-47

LUCKNOW: कहते है कि सियासत में कोई भी स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता लेकिन यूपी की सियासत गवाह है कि अक्सर अपने राजनैतिक दुश्मनों को ठिकाने लगाने में यह कहावत सटीक नहीं बैठती है। नेताओं की हत्या में एके-47 जैसे खतरनाक हथियार का इस्तेमाल करने की मंशा उन्हें हर हाल में मौत के मुहाने तक पहुंचाने की रहती है। गुरुवार देर रात भाजपा नेता बृजपाल तेवतिया पर हुए हमले में भी कुछ ऐसा ही तरीका आजमाया गया। गनीमत यह रही कि वक्त पर अस्पताल पहुंचने से उनकी जान बच गयी।

कृष्णानंद राय की हुई थी हत्या

एके-47 का इस्तेमाल कर राजनेता की हत्या करने का मामला 11 साल पहले गाजीपुर में हुआ था। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की विगत 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर जिले के पास स्थित गांव गौंधर में हत्या कर दी गई थी। इसमें उनके कट्टर राजनैतिक प्रतिद्धंदी मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था। इस केस की सुनवाई आज भी सुप्रीम कोर्ट में जारी है। इससे पहले कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान बेखौफ माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपनी एके-47 से राजधानी को दहलाया था। उसने 1997 में कैंट इलाके में वीरेंद्र शाही की सनसनीखेज तरीके से हत्या की थी। साल भर बाद ही उसने बिहार में मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग कर मौत की नींद सुला दिया था। इससे पहले इलाहाबाद के सिविल लाइंस इलाके में विगत 13 अगस्त 1996 को तत्कालीन झूंसी विधायक जवाहर पंडित की एके-47 से गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। इस हमले में उनके साथ दो अन्य करीबियों की भी मौत हो गई थी। वहीं 2005 में इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधायक राजू पाल की हत्या भी एके-47 से हुई थी। इस हत्याकांड में इलाहाबाद के तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम आया था।

महेंद्र सिंह भाटी की हत्या

पुराने आपराधिक रिकार्ड खंगालने पर पता चलता है कि विगत 13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद में ही जनता दल के कद्दावर नेता व दादरी से तीन बार विधायक रह चुके महेंद्र सिंह भाटी व उनके साथी उदय प्रकाश की हत्या में भी एके-47 का इस्तेमाल हुआ था। इस हत्याकांड में कभी महेंद्र भाटी से राजनीति का ककहरा सीखने वाले बाहुबली नेता डीपी यादव का नाम आया था। इस दोहरे हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने डीपी यादव को उम्र कैद की सजा भी सुनाई थी। जांच में यह भी पता चला था कि हत्यारों को एके-47 डीपी यादव ने ही मुहैया करायी थी।

बिहार के रास्ते आई एके-47

यूपी में अपराधी से राजनेता बनने वालों को सोवियत संघ में बनी स्वचालित एके-47 रायफल खूब भाती है। कहना गलत न होगा कि यूपी में शायद ही ऐसा कोई माफिया या बाहुबली राजनेता हो, जिसकी पहुंच इस अत्याधुनिक असलहे तक न हो। वहीं यूपी में अपराधियों के हाथ यह रायफल बिहार के रास्ते आई थी। नब्बे के दशक में नेपाल के रास्ते बिहार तक यह असलहा पहुंचा तो दोनों प्रदेशों के माफिया को बेहद रास आया। इसके अलावा आतंकियों में भी यह खासा लोकप्रिय है। पूर्ववर्ती बसपा सरकार में राजधानी स्थित रिंग रोड पर पकड़े गये आतंकियों के पास से भी दो एके-47 बरामद हुई थी। वहीं दो साल पहले गोरखपुर में पकड़े गये तहरीक ए तालिबानन(अफगानिस्तानन) के दो आतंकियों को भी नेपाल से एके-47 मिलनी थी।

कुछ अन्य मामले भी

-नब्बे के दशक में गोंडा में गरजी थी एके-47 और 9एमएम पिस्टल, मौजूदा प्रदेश सरकार के एक बाहुबली मंत्री पर हुआ था हमला, आरोप लगा था दूसरे दल के एक बड़े बाहबुली नेता पर। इस घटना के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह से समय रहते हेलीकॉप्टर भेज नेताजी की जान बचाई थी।

- संत ज्ञानेश्वर की हत्या में भी एके-47 का हुआ था इस्तेमाल, इसमें बाहुबली नेता सोनू-मोनू सिंह की संलिप्तता के मिले थे प्रमाण।

- वर्तमान काबीना मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के प्रतापगढ़ स्थित आवास से वर्ष 2004 में एके-47 बरामद की गयी थी।

- जौनपुर में इसी साल दो पुलिसकर्मियों की हत्या एके-47 से हुई।