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-हद में हैं गंगा-यमुना की लहरें तो ये हाल, हद पार करने का क्या होगा अंजाम

-हाईकोर्ट ने एचएफएल 500 मीटर यूं ही निर्धारित नहीं किया है

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: संगम नगरी प्रयागराज गंगा और यमुना नदी की लहरों के उफान को बरसों से झेलता आया है। लेकिन 1978 में आई भीषण बाढ़ में गंगा और यमुना ने लोगों को अपनी हद और सरहद दोनों बताई थी। इसके बाद भी लोगों की नींद नहीं खुली और नदियों के किनारों तक निर्माण कार्य चलते रहे। ऐसे में 2011 में हाई कोर्ट ने सख्त निर्देश जारी किए। हाई कोर्ट ने वॉटर लेवल से 500 मीटर एरिया को (हाई फ्लड लेवल) एचएफएल डिक्लेयर कर दिया। इसमें 1978 में आई भीषण बाढ़ से प्रभावित एरियाज को शामिल किया गया था। इस निर्देश के संदर्भ में देखें तो वर्तमान की बाढ़ वास्तव में बाढ़ है ही नहीं। वजह, गंगा और यमुना की लहरों ने अभी तक अपनी हद और सरहद दोनों पार नहीं की है।

लोग ही हैं दोषी

गंगा और यमुना का वाटर लेवल 83 मीटर के पार पहुंच चुका है। इसके बाद स्थिति विकराल हो चुकी है। तीन दर्जन से अधिक मोहल्लों में पानी घुसा है। देखा जाए तो इसके लिए नदियां नहीं, बल्कि लोग खुद दोषी हैं। हजारों लोगों ने गंगा-यमुना नदी की सरहद में जाकर अपना आशियाना बनाया है। गंगा-यमुना की लहरें अगर डेंजर लेवल यानी 84.73 मीटर के दायरे को पार कर आगे बढ़ती हैं, तब बाढ़ की स्थिति कही जा सकती है। फिलहाल जिस तरह पानी बढ़ रहा है, उसके अनुसार मंगलवार को डेंजर लेवल पार हो सकता है।

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यह थी गाइडलाइन

-22 अप्रैल 2011 को हाईकोर्ट ने गंगा किनारे हाई फ्लड लेवल एरिया 500 मीटर एरिया निर्धारित किया था।

-तब एचएफएल एरिया में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था।

-हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण एवं जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि गंगा किनारे अधिकतम बाढ़ बिन्दु से 500 मीटर के क्षेत्र का चिन्हांकन सुनिश्चित करें।

-साथ ही यह भी देखें कि एचएफएल एरिया से 500 मीटर के भीतर कोई भी निर्माण नहीं होगा।

-अगर ऐसा कोई भी निर्माण होता है तो उसे सील कर दिया जाए।

हर साल-दो साल में आता है उफान

हाईकोर्ट ने 2011 में एचएफएल एरिया का चिन्हांकन करने का आदेश जारी किया था। लेकिन आठ साल बाद भी आज तक पीडीए (तब एडीए) और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन आज तक एचएफएल एरिया का चिन्हांकन नहीं कर सका है। लेकिन हर साल दो साल के अंतराल में डेंजर लेवल तक पहुंचने वाली गंगा की लहरें पब्लिक, सरकार, एडमिनिस्ट्रेशन, पीडीए के साथ ही पूरे सिस्टम को अपने हद का एहसास कराती रही हैं। इसके बाद भी किसी की नींद नहीं खुली है।

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प्रशासन भी 1978 की बाढ़ को मानता है एचएफएल

1978 में आई भीषण बाढ़ में जितना एरिया प्रभावित हुआ था, डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन उस एरिया को ही हाई फ्लड लेवल एरिया मानता है। डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से यही रिकार्ड हाईकोर्ट में सब्मिट भी किए गए हैं।