- केवल कारपोरेट सेक्टर को राहत पैकेज देने से मंदी नहीं होगी दूर

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की चर्चा में व्यापारियों ने रखी अपनी बात

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PRAYAGRAJ:

देश में छाई आर्थिक मंदी और सुस्ती को दूर करने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने फाइनेंशियल सपोर्ट एक्शन लेना शुरू कर दिया है। बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने के साथ ही कारपोरेट सेक्टर को 1.45 लाख करोड़ रुपये का बूस्टर डोज देने का निर्णय लिया गया है। जिससे आर्थिक मंदी में सुधार होने और फेस्टीवल सीजन में मार्केट ग्रोथ पकड़ने की संभावना सरकार द्वारा जताई जा रही है। लेकिन व्यापारियों का कहना है कि सरकार के इस राहत पैकेज से फिलहाल मार्केट की मंदी दूर होने वाली नहीं है। क्योंकि आर्थिक मंदी का मुख्य कारण कस्टमर्स की परचेजिंग पॉवर खत्म होना है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के डिबेट में शहर के व्यापारियों ने कुछ इसी तरह अपनी बात रखी।

टैक्स स्लैब कम होने से फायदा केवल मैनुफैक्चरर

चर्चा की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा ने कहा कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने राहत पैकेज जारी कर ये मान लिया है कि पूरे देश में आर्थिक मंदी है। आर्थिक मंदी का कारण केवल वैश्विक नहीं, बल्कि नेशनल ईश्यू भी है। आज लोगों की परचेजिंग पॉवर या तो खत्म हो गई है, या फिर काफी कम हो गई है। जिस पर फिलहाल अभी सरकार का फोकस नहीं है। कारपोरेट का टैक्स स्लैब कम होने से फायदा केवल मैनुफैक्चरर को होगा। ट्रेडर्स को फायदा क्या होगा? अर्थव्यवस्था पर क्या फायदा होगा? आर्थिक मंदी कैसे दूर होगी? इस पर विचार करने की जरूरत है।

फेस्टीवल सीजन में मैक्सिमम 30 परसेंट का ग्रोथ

गल्ला एवं तिलहन व्यापारी सतीश चंद्र केसरवानी ने कहा कि फेस्टीवल-फेस्टीवल सरकार कह रही है। फेस्टीवल शुरू होने में एक सप्ताह बचा है। एक महीने में फेस्टीवल सीजन भी समाप्त हो जाएगा। फेस्टीवल के दौरान 20-25 परसेंट या मैक्सिमम 30 परसेंट का ग्रोथ होगा। लेकिन ये ग्रोथ भी सामान्य की परचेजिंग से काफी कम होगा। क्योंकि किसी भी दुकानदार को चमत्कार होता नहीं दिख रहा है कि एक महीने में मार्केट में 100 परसेंट उछाल हो जाएगा।

जब हमारी परचेज करने की क्षमता खत्म हो गई है। इनकम गायब हो गई है, जब कस्टमर्स सामान नहीं खरीदेंगे और डिमांड न होने पर दुकानदार होल सेलर से माल नहीं लेंगे तो फिर मार्केट और कारपोरेट सेक्टर कैसे सुधरेगा।

संतोष पनामा

संयोजक

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

बेरोजगारी खत्म हो, लोगों तक पैसा आए। इस पर सरकार को कदम उठाने की जरूरत है। टॉप पर सहूलियत देने से सहूलियत टॉप तक ही रहेगी। कारपोरेट जगत को लाभ देने का असर बॉटम तक कैसे दिखेगा। कंजम्प्शन वाले के पास जब पैसा ही नहीं है तो परचेजिंग कैसे बढ़ेगी।

सतीश चंद्र केसरवानी

आर्थिक मंदी इसलिए आ रही है, क्योंकि उद्योग घाटे में जा रहे हैं। राहत पैकेज जो दिया, उससे राहत किसे मिलेगी? बीपीसीएल, टीसीएल, आदि को पैसा मिला चलाने के लिए, लेकिन सब वहीं के वहीं हैं।

भगवत प्रसाद

परचेजिंग पॉवर ही खत्म हो गई है तो मार्केट में रौनक कैसे आएगी। नीचे की परचेजिंग पॉवर नहीं होती है, तब मंदी पैदा होती है। कंपनियां एजेंसी पर टार्गेट पूरा करने का दबाव बना रही हैं। वहीं एजेंसी डिमांड कम होने से सप्लाई नहीं कर पा रही है।

रमेश चंद्र केसरवानी

चीनी के थोक व्यापारी

-सरकार का टार्गेट अर्थ व्यवस्था पर नहीं, बल्कि देश की इंटरनेशनल व्यवस्था पर ज्यादा है। राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी है। लेकिन अर्थव्यवस्था पर फोकस कम है। जबकि देश की सुरक्षा के साथ ही कस्टमर्स की परचेजिंग पॉवर बढ़ाने की जरूरत है।

गिरजा प्रसाद

आनलाइन मार्केट ने दुकानदारी को डिस्टर्ब किया है। जो कर्ज में है, उन्हें और कर्ज दिया जा रहा है। नीचे के व्यापारी तक कस्टमर ही नहीं आ रहा है। क्योंकि कस्टमर के पास पैसा ही नहीं है। मार्केटिंग के लिए।

सुशील गुप्ता

एजेंसी संचालक

कंज्यूमर की कैपेसिटी नहीं है, तो कारपोरेट। कैसे बिजनेस बढ़ाएगा। जब मेरे पास खपत ही नहीं है, तो मैं मुंबई, गुजरात से माल कैसे मंगाऊंगा। बाजार तो कस्टमर्स से चलता है। मॉल तो पूरे शहर में 50 होंगे, लेकिन छोटे दुकानदार 25-30 हजार से ज्यादा होंगे।

श्याम जी अग्रवाल

- घी व्यापारी

कारपोरेट को तो बचाने के लिए राहत पैकेज दिया जा रहा है। लेकिन छोटे दुकानदारों के लिए क्या राहत दे रहे हैं। चिल्लर को दुकानदार 10 परसेंट नुकशान पर देने को भी तैयार हैं। जबकि अब 10 परसेंट पर बिजनेस भी नहीं रह गया है।

संतोष कुमार

कपड़ा व्यापारी

आज जीएसटी से व्यापारी परेशान है। वाणिज्य कर के अधिकारी सुनवाई के लिए मना कर रहे हैं। जीएसटी काउंसिल में कम्प्लेन की बात करते हैं। पोर्टल नहीं खुल रहा है तो व्यापारी का क्या दोष है।

बसंत लाल आजाद

सर्राफा व्यापारी

आज हर किसी की ट्रांजेक्शन पॉवर कम हो गई है। ऐसे में ट्रांजेक्शन कैसे बढ़ेगा। इस पर विचार करने की जरूरत है। पब्लिक का सोर्स ऑफ इनकम बढ़ाए जाने की जरूरत है। बॉटम लाइन की परचेजिंग पॉवर जब तक नहीं बढ़ेगी, तब तक मार्केट में राहत नहीं दिखेगा।

संजय कुमार