-हिवेट रोड की पहचान सड़क किनारे बने पोर्टिको हुए खत्म

-कुंभ मेला के दौरान पोर्टिको के फुटपाथ पर लगाए गए थे टाइल्स

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: पुराने जमाने की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें। इनके छज्जों के नीचे बने पोर्टिको। यह कभी हीवेट रोड और जानसेनगंज की पहचान थे। लेकिन अब यह पहचान खत्म होने को है। वजह लाखों रुपए का माल रखने वाले दुकानदारों ने इन पोर्टिको पर कब्जा जमा रखा है। इस वजह से शहर की पहचान पर धब्बा लग रहा है।

पोर्टिको पर होता था बिजनेस

हिवेट रोड और जानसेनगंज की रोड पुराने शहर की मेन रोड में एक है। इस पर रोजाना लाखों लोगों का आना-जाना होता है। मेन रोड पर ट्रैफिक चलती रहे और दुकानों पर पब्लिक शॉपिंग भी करती रहे, इसी कांसेप्ट के साथ यहां के मकानों और कॉमर्शियल बिल्डिंग्स में पोर्टिको बनाया गया था। यह भी दिलचस्प बात है कि पोर्टिको कल्चर केवल इलाहाबाद में ही दिखाई भी देता था।

चलने लायक नहीं रह गए पोर्टिको

एन्क्रोचमेंट के लिए रोजगार की तलाश में यहां-वहां घूमने वाले पटरी दुकानदार बदनाम हैं। जबकि बड़ी-बड़ी दुकानों के मालिक भी एन्क्रोचमेंट में किसी से पीछे नहीं हैं। दुकान में जितने का माल भरा हुआ है, उससे कहीं ज्यादा माल रोजाना पोर्टिको में बने फुटपाथ पर लगाना दुकानदारों की आदत बन चुकी है। इसलिए यह पोर्टिको अब चलने लायक भी नहीं रह गए हैं।

कुंभ के दौरान हुआ ब्यूटीफिकेशन खत्म

रेलवे स्टेशन से मेला क्षेत्र पहुंचने का मुख्य मार्ग होने के कारण कुंभ मेला से पहले हिवेट रोड के पोर्टिको का ब्यूटीफिकेशन और मरम्मत कराया गया था। पोर्टिको की फर्श पर टाइल्स लगवाई गई थी। लेकिन मेला समाप्त होते ही टाइल्स टूटने लगी। कई जगह टाइल्स पूरी तरह उखड़ चुकी हैं। वहीं पूरे पोर्टिको पर दुकानदारों का कब्जा है। यह सुबह दुकान खोलने के बाद आधे से ज्यादा सामान पोर्टिको में लगा देते हैं। इस वजह से इतनी भी जगह नहीं बचती कि कोई व्यक्ति आराम से जाकर सामान खरीद सके।

वर्जन-

यह बात सही है कि पोर्टिको पर एन्क्रोचमेंट है। लेकिन इसके लिए नगर निगम ज्यादा जिम्मेदार है। नगर निगम कार्रवाई की चेतावनी देती है, लेकिन कार्रवाई नहीं करती है। अधिकारी-कर्मचारीसेटिंग कर शांत बैठ जाते हैं।

-कुसुमलता गुप्ता

पार्षद मोहत्सिमगंज

यह बात सही है कि हिवेट रोड पर बने पोर्टिको की अपनी अलग पहचान थी। पोर्टिको और उसके नीचे चल रही दुकानें, इस रोड की विशेषता बढ़ाती थीं। लेकिन आज यह पहचान खत्म होने को है।

-अनूप अग्रवाल

अपने शहर की पहचान को बचाना हम सब की जिम्मेदारी है। इसलिए दुकानदारों को भी ये चाहिए कि अपनी दुकान से बिजनेस करें और पोर्टिको को कस्टमर्स व पब्लिक के लिए छोड़ दें।

-बसंत लाल आजाद