-आज से शुरू हो रहा है एक महीने तक चलने वाला कार्तिक मेला

-महिलाओं के लिए कपड़े बदलने का स्थान भी नहीं बनाया गया

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PRAYAGRAJ: संगम नगरी प्रयागराज की पहचान बलुआघाट पर हर साल लगने वाले कार्तिक मेले से भी है। इससे लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां स्नान करने के लिए पूरे महीने लोगों, विशेषकर महिलाओं की भीड़ उमड़ती है। कार्तिक मेले की शुरुआत सोमवार से हो रही है। लेकिन बलुआघाट की सफाई अभी तक नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले आई बाढ़ में पूरा बलुआघाट डूब गया था। इस वजह से यहां पर काफी गंदगी फैली हुई है।

फिसलन से होगी दिक्कत

कुछ दिनों पहले आए बाढ़ में बलुआघाट की बारादरी, चबूतरा के साथ ही सारी सीढि़यां पानी में डूब गई थीं। धीरे-धीरे अब बाढ़ का पानी उतर चुका है। सीढि़यां दिखने लगी हैं। लेकिन बालू का ढेर अभी भी चारों तरफ लगा है। बलुआघाट के साथ ही इस्कान घाट की सीढि़यां भी बालू के ढेर में दबी हुई हैं। जिस पर फिसलन बनी हुई है। स्नानार्थी इस पर चलेंगे गिरकर तो घायल भी हो सकते हैं।

एक महीने में आती हैं, ये विशेष तिथियां

कार्तिक महीना त्यौहारों का भी महीना होता है। इस महीने में अहोई अष्टमी, राधा अष्टमी, यम पंचक, धनतेरस, दीपावली, भैया दूज, चित्रगुप्त पूजा, रविषष्ठी, डाला छठ, अक्षय नवमी, प्रबोधिनी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली जैसे पर्व-त्योहार पड़ते हैं।

अभी बनी हुई है ये समस्याएं-

-बलुआघाट की सीढि़यों पर अभी भी लगा हूआ है बालू का ढेर।

-बालू के साथ ही बाढ़ में आया कचरा भी घाट की सीढि़यों पर फैला हुआ है।

-बलुआघाट के बगल में स्थित इस्कान घाट पर ही लगा हुआ है बालू और गंदगी का ढेर, बरादरी पर जमा है मिट्टी।

-महिलाओं के लिए वस्त्र बदलने का नहीं बनाया गया कोई स्थान।

-टॉयलेट की भी अभी तक नहीं हुई कोई अस्थाई व्यवस्था।

-रविवार तक बैरिकेडिंग का नहीं हो सका था निर्माण।

-बेहतर सफाई के साथ चूने का नहीं हो सका था छिड़काव

-24 घंटा तक यमुना किनारे होने वाले स्नान के लिए अभी तक नहीं की गई लाइटिंग की विशेष व्यवस्था

क्या कहते हैं लोग

कार्तिक मेले को लेकर जो तैयारी दस दिन पहले शुरू हो जानी चाहिए थी, उसकी शुरुआत रविवार को की गई। जिसकी वजह से व्यवस्था को बनाने में पंद्रह दिन का समय लग जाएगा, तब तक आधा मेला बीत चुका होगा।

-सतीश केसरवानी

अध्यक्ष

बाबा समाज सेवी संगठन

एक महीने के इस मेले में देश के अलग-अलग हिस्सों से लाखों श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालु सूर्योदय से पहले आकर यमुना की धारा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसलिए कार्तिक मेले के लिए विशेष इंतजाम होने चाहिए।

-रमाकांत पांडेय

बलुआघाट पर लगने वाले कार्तिक मेले में चौबीस घंटे श्रद्धालुओं की चहल-पहल रहती है। इसलिए यहां सुरक्षा, सफाई के साथ ही प्रकाश की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए, जो अभी तक नहीं हो सकी है।

-गोलू सोनकर

हर बार बार महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए फाइबर और टिन के चेंजिंग रूम बनाए जाते हैं। लेकिन इस बार अभी तक ऐसा कोई इंतजाम फिलहाल नहीं दिख रहा है।

-सुषमा श्रीवास्तव