-दिन भर हुई बरसात के चलते मेला क्षेत्र में फैली अव्यवस्था

-पहले से ही पीछे चल रहे काम को फिनिशिंग टच देना हुआ मुश्किल

<-दिन भर हुई बरसात के चलते मेला क्षेत्र में फैली अव्यवस्था

-पहले से ही पीछे चल रहे काम को फिनिशिंग टच देना हुआ मुश्किल

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PRAYAGRAJ: prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: माघ मेला क्षेत्र में चल रहा काम पहले ही काफी पीछे चल रहा था। उम्मीद थी कि क्0 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान से पूर्व इसमें तेजी लाते हुए फिनिशिंग टच दिया जाएगा। लेकिन बुधवार को दिन भर रुक-रुककर हुई बरसात ने मेला क्षेत्र में मुश्किलें और बढ़ा दीं। इस वजह से प्रशासन की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई हैं।

हर तरफ अस्त-व्यस्त

बुधवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर मेला क्षेत्र में पहुंचा। यहां की व्यवस्था और इंतजाम देखकर कहीं से लगा ही नहीं कि यह वही जगह है, जहां कुंभ मेला लगा था। कुंभ मेले में हुए जबर्दस्त इंतजाम और व्यवस्थाएं इस बार सिरे से नदारद है। बुधवार को भी यहां बारिश के चलते सबकुछ अस्त-व्यस्त नजर आया। रिपोर्टर पीपा पुल नंबर तीन को पार कर कल्पवास क्षेत्र में पहुंचा। पुल पार करते ही कीचड़ और अव्यवस्थाओं का सामना हुआ। रास्ते में जगह-जगह चकर्ड प्लेट गायब दिखाई दी। वहीं कीचड़ में पता ही नहीं चल पा रहा था कि चकर्ड प्लेट बिछी भी है या नहीं। वहीं कुंभ के दौरान दिखीं व्यवस्थित नालियां, टॉयलेट सब माघ मेला में देखने को नहीं मिल रहे हैं।

नहीं लग सका है कल्पवासियों का टेंट

पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से पूर्व माघ मेला क्षेत्र पूरी तरह से बसाने की तैयारी थी। लेकिन ऐन मौके पर खराब हुए मौसम का मिजाज मुसीबत बन चुका है। हालत यह है कि कल्पवासी क्षेत्र में भी अभी सिर्फ भ्0 से म्0 फीसदी काम ही हो पाया है। इसके लिए प्रशासन जहां मौसम को जिम्मेदार ठहरा रहा है। वहीं प्रशासनिक लेवल पर प्लानिंग का फेल होना भी एक बड़ी वजह है। गौरतलब है कि ख्0क्फ् के बाद ख्0क्9 में एक बार फिर यहां बाढ़ का कहर दिखा। अक्टूबर तक मेला क्षेत्र का काफी एरिया पानी में डूबा रहा। इस वजह से पानी निकलने और जमीन सूखने में जहां समय लगा वहीं काफी एरिया पूरी तरह सूखने के बजाय दलदली ही रह गया।

दलदल से हुई देरी

रही-सही कसर सिंचाई बाढ़ खंड के जिम्मेदार अधिकारियों ने पूरा कर दिया। माघ मेला में पानी की कमी न रह जाए, गंगा-यमुना की अविरलता बरकरार रहे, इसको लेकर एक तरफ जहां बैराजों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया। वहीं दूसरी तरफ पानी छोड़ने से पहले नदी का रुख मोड़ने के लिए कुछ इलाकों में मिट्टी डाला गया था। लेकिन जब पानी छोड़ा गया तो एक बार फिर मिट्टी वाला इलाका दलदली हो गया। पांटून पुल के पीपे निकाले गए। पूरे सिस्टम से काम नहीं हुआ, जिसकी वजह से इस समय अव्यवस्था बनी हुई है

जमीन दलदली होने से बालू की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस बार जमीन नहीं सुख पाई है। बालू के लिए दौड़ाया जा रहा है। सेक्टर मजिस्ट्रेट बालू नहीं भेज पा रहे हैं। इस वजह से कल्पवासियों को दिक्कत हो रही है।

-लखन चंद्र मिश्रा

तीर्थ पुरोहित

कुंभ में आए थे तो सब कुछ व्यस्थित था। इस बार तो हमें जमीन को समतल करने के साथ ही पानी, बिजली और शौचालय के लिए भटकना पड़ रहा है। हमने ऐसी अव्यवस्था की उम्मीद नहीं की थी।

-युमना प्रसाद मिश्रा

कल्पवासी, निवासी प्रतापगढ़

बारिश के कारण मेला की तैयारी तीन-चार दिन पीछे हो गई है। जमीन पहले से दलदली थी, जल निकासी न होने से परेशानी थी, बारिश की वजह से फिसलन बढ़ गई है। मेला क्षेत्र फिलहाल अस्त-व्यस्त हो गया है।

-राजेंद्र पालीवाल

महामंत्री

प्रयागवाल सभा