-आरबीएसके यूपी एप के नाम से लांच की गई है अप्लीकेशन।

-स्कूलों में पहुंचने वाली टीमों के मेंबर्स को स्कूल में पहुंचते समय और वापस निकलते समय अपनी सेल्फी शेयर करनी होती है।

-यह एप ऑफलाइन रन करती है। सेल्फी शेयर करते ही एप पर रियल टाइम लोकेशन और टाइमिंग दिखने लगती है।

-मोबाइल नेटवर्क नहीं होने पर भी एप पूरी तरह से काम करता है।

-टीम नेटवर्क नहीं होने का बहाना नहीं बना सकती है।

-बगैर नेटवर्क भी काम करता है एप, डॉक्टर्स को लगानी होती है रियल टाइम हाजिरी

-आरबीएसके प्रोग्राम में गवर्नमेंट ने की अनिवार्यता, शेयर हो जाती है लोकेशन

PRAYAGRAJ: सरकारी सर्विस में लगे डॉक्टर्स अब काम में लापरवाही नहीं बरत सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न योजनाओं में अटैच डॉक्टर्स की उपस्थिति और कामकाज पर नजर रखनी शुरू कर दी है। शुरुआत आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम)) से की गई है। इसके तहत स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच करने वाले डॉक्टर्स को रियल टाइम जानकारी देनी होती है। उपस्थिति की मॉनीटरिंग के लिए विभाग ने एक एप भी लांच किया है। इसकी खासियत इसका ऑफलाइन होने पर भी वर्क करना है।

जरूरी नहीं है ऑनलाइन होना

आरबीएसके शासन के महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल है। शुरुआत में डॉक्टर्स मौके पर नहीं पहुंचते थे और अधिकारियों के पूछने पर नेटवर्क नहीं होने का बहाना बनाते थे। लेकिन अब यह बहाना नहीं चलेगा। आरबीएसके यूपी एप के जरिए ऑफलाइन सेल्फी और लोकेशन शेयर की जा रही है। यह एप ऑफलाइन ही काम करती है। नियमानुसार स्कूल में पहुंचते ही टीम को अपनी सेल्फी एप पर शेयर करनी होती है। इसके लिए फोन में नेट चलाने की भी जरूरत नहीं होती है। फोटो और रियल टाइम लोकेशन अपने आप अधिकारियों को पता चल जाएगी।

पकड़ी जा चुकी हैं छह टीमें

स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच के नाम पर लापरवाही बरतने वाली छह टीमों की सच्चाई जांच में पकड़ी जा चुकी है। एप चेक करने पर पता चला कि यह टीमें काफी कम समय तक स्कूल में रुक रही थीं। ऐसे में निर्धारित संख्या में बच्चों की स्वास्थ्य जांच नहीं हो पा रही थी। इन टीमों को चेतावनी जारी करते हुए अधिकारियों ने अधिक से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य जांच के आदेश दिए। प्रत्येक ब्लॉक की टीम को अब ऑफलाइन एप के जरिए अपनी रियल टाइम लोकेशन और टाइमिंग शेयर करनी पड़ रही है।

क्या है आरबीएसके

आरबीएसके के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीमें ब्लॉकवार स्कूलों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर रही हैं। योजना के डीईआईसी मैनेजर अकुश दुबे कहते हैं कि बच्चों में फोर डी (डिफेक्ट, डिफिशिएंसी, डिजीज, डिले) के तहत 38 बीमारियों की जांच की जाती है। जानकारी के मुताबिक इस साल जिले के 64 फीसदी स्कूलों के 11594 बच्चे चिन्हित किए गए हैं। इसमें 71.32 फीसदी बच्चों का इलाज किया जा चुका है। योजना के तहत आंगनबाड़ी का 30.71 फीसदी कवर किया जा चुका है।

आरबीएसके के मोबाइल एप से भागना आसान नहीं है। जो भी डॉक्टर मौके पर उपस्थित नहीं होंगे उनकी रियल टाइम लोकेशन पता चल जाएगी। नेटवर्क नहीं होने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह एप ऑफलाइन वर्क करती है। इसमें स्कूल में जाते और निकलते समय अपनी सेल्फी शेयर करनी है।

-डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ प्रयागराज