- संगम की रेती पर मथुराअधिपति के भजनों की मोहक प्रस्तुति ने मन मोहा

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PRAYAGRAJ: त्रिवेणी संगम के तट पर चल रहे माघ मेले में एनसीजेडसीसी की ओर से आयोजित 'चलो मन गंगा यमुना तीर' की सांस्कृतिक संध्या में मंगलवार को अलग ही रूप में दिखी। मथुरा के अधिपति 16 कलाओं में निपुण भगवान श्री कृष्ण की मोहक छवि के व्याख्यान को खुद में समेटे हुए भजनों की मोहक प्रस्तुतियों ने संगम की रेती को भगवान श्रीकृष्ण के रंगों से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम के 8वें दिन जहां प्रथम सत्र की शुरुआत भजन, सुगम संगीत, बिरहा एवं लोकगीतों के साथ-साथ सिन्थसाइजर वादन का कार्यक्रम हुआ, वहीं सायंकालीन सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत भगवती गंगा को समर्पित भजनों से हुई। पटना के सत्येन्द्र कुमार के भजन, प्रयागराज के धर्मेश दीक्षित का भोजपुरी लोकगीत की प्रस्तुति दी। उसके बाद सबसे अधिक आकर्षण का केन्द्र रही व्रजक्षेत्र से कार्यक्रम में पहुंची मोरवाल एवं दल का भगवान कृष्ण के प्रति आत्मिक भक्ति को समर्पित 'रसिया गायन' सायंकालीन सांस्कृतिक संध्या का आकर्षण था।

लोक नृत्य की प्रस्तुतियों ने मोहा मन

चलो मन गंगा यमुना तीर में लोकनृत्यों की प्रस्तुतियों में देश की अलग-अलग भक्ति संगीत का कार्यक्रम हुआ। इसी क्रम में मंदिरों में देवताओं की प्रीति एवं अनुष्ठानों के अवसर पर होने वाले उड़ीसा का शास्त्रीय कलात्मकता एवं संतुलन के अद्भुत रूप को प्रदिर्शत करता गोटीपुआ नृत्य, हरियाणा का पारम्परिक घूमर नृत्य, जनजातीय धार्मिकता का दर्शन कराता झारखण्ड का छऊ लोकनृत्य, राजस्थान का चरी एवं घूमर, ब्रज के राधा-कृष्ण को समर्पित लोकनृत्य को लोगों ने खूब पसंद किया। इस दौरान बुन्देलखण्ड के राई लोकनृत्यों की प्रस्तुतियों ने उपस्थित दर्शकों को लोक संस्कृति के मोहक रंगों से परिचित कराया। सांस्कृतिक केन्द्र पण्डाल में भारतीय हस्तशिल्पों की प्रदर्शनी में भी आने वाले दर्शकों, तीर्थयात्रियों ने खरीददारी किया और देशी व्यंजनों का भी जमकर लुत्फ उठाया।