-स्टेशनरी और बुक्स शॉप ओनर्स की फिर से शुरू हो गई मनमानी

-बुक्स का सेट ही पैरेंट्स को दे रहे बुक्स स्टोर ओनर्स

PRAYAGRAJ: लॉकडाउन में छूट के बाद सिटी के बुक्स एवं स्टेशनरी स्टोर खुलने के बाद दुकानदार फिर से अपनी पुरानी मनमानी शुरू कर दिए है। पैरेंट्स को दुकानदार किताब और कापियों का पूरा सेट ही देर है। अगर कोई अपनी जरूरत के हिसाब से किताबों की डिमांड करता है तो दुकानदार सीधा कहता है पूरा सेट ही मिलेगा। ऐसे में पैरेंट्स बगैर जरूरत के पूरा सेट लेने को मजबूर हैं।

कुछ किताबें हैं, फिर भी खरीदना पड़ रहा पूरा सेट

झूंसी के रहने वाले संतोष कुमार शर्मा बताते है कि उनका बेट क्लास सिक्स्थ में सेंट जोसफ कालेज में पढ़ता है। उन्होंने कुछ सब्जेक्ट की बुक्स अरेंज कर लीं। शेष बुक्स लेने जब वह भार्गव बुक स्टोर पहुंचे तो वहां पर पूरा सेट लेने का प्रेशर डाला गया। जब जरूरत की ही बुक्स मांगी तो साफ कह दिया गया कि पूरा सेट ही मिलेगा। क्लास सिक्स्थ की बुक्स का पूरा सेट उन्हें 4481 रुपए में खरीदना पड़ा। वहीं दुकानदार ने 234 रुपए का कवर जबरन दे दिया।

हर स्कूल की दुकानें हैं फिक्स

सिटी के स्कूल्स की बुक्स के लिए अलग-अलग बुक शॉप हैं। यही कारण है कि दुकानदार मनमानी पर उतारू हैं। लूकरगंज के रहने वाले राजीव कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि उनके तीन बच्चे होली ट्रिनिटी में पढ़ते हैं। उन्हें जानकारी दी गई कि सिविल लाइंस के एबीसी बुक सेंटर पर ही स्कूल की बुक्स अवेलेबल हैं बड़ा बेटा क्लास 8 में पढ़ता है। उसकी बुक्स 8135 रुपए, छोटा बेटा क्लास फोर्थ में सेट 5965 और सबसे छोटा बेटा क्लास सेकेंड में है। उसकी किताबों का सेट 5335 रुपए का पड़ा है। इसमें बुक्स के साथ ही स्टेशनरी और कवर भी जबरन दिया गया है। वहीं झूंसी के ही रहने वाले पंकज मिश्रा बताते है कि सेंट जोसफ कालेज के सामने स्थित बुक स्टोर से उन्होंने अपने भतीजों की किताबों का सेट लिया। किताबों के सेट के साथ ही मार्कर भी जबरन दिया गया। उसका पैसा भी सेट में ही जोड़ कर लिया।

नहीं देते है पक्की रसीद

भतीजों की बुक्स लेने गए पंकज मिश्रा ने बताया कि बुक्स शाप की तरफ से किताबों के सेट के नाम पर इतना वसूला जा रहा है, लेकिन जब बात बिल देने की आती है, तो दुकानदार सादे कागज पर एमाउंट लिखकर जोड़ कर पैसा वसूल लेते है। पूरा पक्का बिल भी नहीं देते हैं।

लॉकडाउन में भी बुक्स स्टोर के ओनर मनमाने रेट की वसूली कर रहे है। अगर उनसे बुक्स लेने के बाद पक्की रसीद मांगों तो नहीं देंगे। सिर्फ सादे कागज पर पैसा जोड़कर बता देते है।

पंकज मिश्रा

किताबों के सेट के साथ कापियां कलर, कवर आदि को जबरन सेट में जोड़कर मनमाने ढंग से पैसा मांगते है। पैरेंट्स इस मुश्किल में भी लगातार परेशान हो रहे है।

रंजीता गुप्ता