तारीख दर तारीख

07 जुलाई 2019

बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय ब्रांच में सवा चार करोड़ का घपला सामने आया था।

08 जुलाई 2019

चेस्ट करेंसी अफसर द्वारा घपले की बात स्वीकार करने के बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया था।

09 जुलाई 2019

एक करोड़ से ज्यादा का मामला होने के चलते जांच ईओडब्लू को सौंपी गई।

13 फरवरी 2020

मुख्यमंत्री ने मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी।

-बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय ब्रांच में सवा चार करोड़ का हुआ था घपला

-ब्रांच के चेस्ट अधिकारी ने ब्याज पर चला दिए थे रुपए

prayagraj@inext.co.in

साल 2019 में शहर में सबसे बड़ा बैंक घोटाला सामने आया था। बैंक ऑफ इंडिया की शाखा सुलेमसराय के चेस्ट अधिकारी ने बैंक से चार करोड़ 25 लाख रुपए निकालकर ब्याज पर चला दिए थे। जब यह मामला खुला तो बैंक के कर्मचारियों समेत शहरवासी भी शॉक्ड रह गए थे। इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की विवेचना सीबीआई को ट्रांसफर कर दी है। इस संबंध में सीएम ऑफिस के ट्विटर हैंडल से गुरुवार को ट्वीट कर जानकारी दी गई।

लास्ट ईयर का है मामला

मामला सात जुलाई 2019 का है। बैंक ऑफ इंडिया की शाखा सुलेमसराय में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां करेंसी चेस्ट अफसर वशिष्ठ कुमार राम ने करेंसी चेस्ट से सवा चार करोड़ रुपए निकालकर अपने दोस्त के जरिए ब्याज पर उठा दिया। आतंरिक लेखा परीक्षक रिपोर्ट में करोड़ों रुपए के इस खेल का मामला उजागर हुआ तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। बैंक प्रबंधन ने मामले की जांच कराई तो करेंसी चेस्ट अधिकारी का कारनामा बेनकाब हो गया। अधिकारियों की पूछताछ में उसने यह गड़बड़झाला स्वीकार कर लिया। उसने बताया कि यह रकम एक व्यापारी मित्र को देकर ब्याज पर उठा दी है। बैंक मैनेजर की तहरीर पर धूमनगंज पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज की थी। लिखित बयान में उसने कबूल पैसे को अपने व्यापारी दोस्त एसके मिश्र और उनके बेटे संजू मिश्र को देने की बात कबूली थी। इन दोनों ने इसमें से कुछ पैसे को ब्याज पर उठाया था। बाकी का पैसा दोनों ने कई कंपनियों में लगा दिया था।

कर दिया गया था सस्पेंड

जब मामला गरमाया तो जांच करने के लिए मुंबई स्थित बैंक के हेड ऑफिस से एक टीम सुलेमसराय ब्रांच पहुंची थी। अधिकारियों ने चेस्ट रूम रूम में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज व स्टॉक रजिस्टर सहित सारे दस्तावेज को टीम ने कब्जे में ले लिया था। सीसीटीवी फुटेज में आरोपित अधिकारी वशिष्ठ कुमार की ऑफिस में उसके दोनों कारोबारी मित्र अक्सर बैठे हुए दिखाई दे रहे थे। मिले सबूतों के आधार पर चेस्ट अधिकारी को सस्पेंड कर उसके खिलाफ जांच बैठा दी गई थी।

फिर इओडब्ल्यू को सौंपी गई थी जांच

शुरुआती इन्वेस्टिगेशन के बाद जिले के पुलिस अधिकारियों ने केस ईओडब्ल्यू (इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग) को ट्रांसफर करने के लिए शासन को लेटर लिखा था। गौरतलब है कि एक करोड़ से अधिक के आर्थिक मामलों से जुड़े केस की जांच इओडब्ल्यू ही करता है। इस नियम को देखते हुए पुलिस विभाग की तरफ से जांच ट्रांसफर करने के लिए पत्र शासन को भेजा गया था। जांच ट्रांसफर होने के बाद पुलिस द्वारा अब तक जुटाए गए सारे दस्तावेज उन्हें सौंप दिए गए थे।

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ऐसे दिया था घपले को अंजाम

-करेंसी चेस्ट में मौजूद पैसों की हमेशा जांच नहीं होती।

-इसी का लाभ उठा कई साल में किश्तों निकाला गया पैसा।

-पैसे को दोस्त के जरिए बिजनेस और कंपनियों में लगा दिया।

-अधिकारियों को शक हुआ तो उन्होंने मामले की जांच कराई।

-चेस्ट अधिकारी ने पहले दूसरे बैंक में पैसा ट्रांसफर करने की बात कही।

-बाद में लिखित बयान देना पड़ा तो मामला खुल गया।