उपकेन्द्र जाकर मांगने पर भी नहीं मिला उपभोक्ताओं को बिल, चार महीने का एक साथ बिल आया तो बन गये बकायेदार

आसान किश्त योजना में बिना बताये किया जा ऐसे लोगों का रजिस्ट्रेशन, नहीं दी जा रही बिल जमा करने के लिए मोहलत

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स्मार्ट मीटर का विरोध पब्लिक क्यों कर रही थी? अब यह समझ में आने लगा है। जिनके यहां मीटर लग चुका है, उसमें से तमाम ऐसे हैं जो बिल को लेकर परेशान हैं। शुरुआती दौर में मंथली बिल पॉवर कारपोरेशन ने भेजा नहीं। पब्लिक खुद उपकेन्द्र के चक्कर लगाकर पर बिल मांगती रही लेकिन रिस्पांस नहीं मिला। किसी को चार तो किसी को पांच महीने बाद बिल पकड़ा दिया गया जो एमाउंट देखकर पब्लिक चकरा गयी। चार महीने तक बिल के लिए लटकाने वाला बिजली विभाग बिल जमा करने के लिए कोई अतिरिक्त मौका देने को तैयार नहीं है। बिजली कर्मियों ने ऐसे लोगों को बिना पूछे बकायेदार घोषित करके आसान किश्त योजना से जुड़ने का ऑफर दे रहा है। इससे पब्लिक परेशान है और अफसरों का कहना है कि टेक्निकल फॉल्ट के चलते पहले ऐसा हुआ था, अब नहीं हो रहा है।

सैंपल केस एक

धूमनगंज में रहने वाली चंदा मिश्रा ने सितंबर 2019 में स्मार्ट मीटर लगवाया। विभाग ने उसे हर महीने का बिल न देकर इकट्ठा चार महीने का बिल थमा दिया। बिल का अमाउंट भी कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि 32 हजार रुपए है। अब वह परेशान हैं कि आखिर इतना बड़ा अमाउंट वह कहां से जुटाएं? बिजली विभाग ने उनको बकाएदार बताते हुए आसान किश्त योजना के रजिस्ट्रेशन का पर्चा भी घर भेज दिया। इससे परेशान पीडि़ता ने विभाग से एक महीने का समय मांगा। लेकिन विभाग की तरफ से समय नहीं दिया गया। पीडि़ता का कहना है अगर बिल मंथली आया होता तो उन्हें इसे पे करने में कोई प्रॉब्लम नहीं आती।

सैंपल केस दो

प्रीतमनगर एरिया के विवेकानंद कॉलोनी निवासी राजकुमारी देवी के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। बिजली विभाग की तरफ से उन्हें बकाएदारों की लिस्ट में डाल दिया गया। साथ ही आसान किश्त योजना के तहत 12 महीने में बिल जमा करने को कहा गया। यह देख वह परेशान हो गई। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि लगातार बिल जमा करने के बावजूद इतनी अमाउंट बकाया कैसे रह गई? एक हफ्ते विद्युत केंद्र का चक्कर लगाने के बात उन्हें जानकारी हुई। असल में एक ही कनेक्शन के नाम से ही दो बिल आ रहे हैं। पुराने मीटर का बिल रेगुलर जमा होता चला आ रहा है और नए स्मार्ट मीटर का बिल बकाया पड़ा हुआ है। अब वह एक मीटर से नाम कटवाने के लिए चक्कर काट रही हैं।

सैंपल केस तीन

ऐसा ही मामला गंगोत्री नगर नैनी में रहने वाले विकास त्रिपाठी के साथ भी ऐसा ही हुआ। विकास ने भी तीन महीने पहले ही स्मार्ट मीटर लगवाया। उन्हें भी हर महीने बिल नहीं दिया गया। तीन महीने के बाद अचानक 14 हजार रुपए का बिल थमा दिया गया। अमाउंट बड़ा होने के चलते अब उन्हें बिल जमा करने में प्रॉब्लम आ रही है। ऐसे में विकास को डर है कि कहीं उनका नाम भी कहा बकायेदारों की लिस्ट में न दर्ज हो जाए।

टेक्निकल फॉल्ट बताकर नहीं देते मंथली बिल

बिजली विभाग की इस कारस्तानी के बारे में कंज्यूमर्स ने बताया कि यह विभाग का खेल है। कई लोगों ने बताया कि जब कुछ दिनों तक रेगुलर बिल नहीं आया तो उन्होंने नजदीकी विद्युत केन्द्रों पर संपर्क किया। लोगों ने जब विद्युत केन्द्र पर मंथली बिल न आने की बात कही तो उनसे कहा गया कि टेक्निकल फॉल्ट के चलते ऐसा हो गया होगा। साथ ही यह भी कहा गया कि कुछ दिनों तक इंतजार कर लें, रेगुलर बिल आने लगेगा। विभागीय अधिकारियों का भरोसा करके लोग घर पर बैठे रहे और अचानक चार महीने का बिल एक साथ थमा दिया गया। साथ ही एक हफ्ते के अंदर बिल जमा करने की ताकीद की गई। ऐसा न करने पर कंज्यूमर्स को बकाएदारों की लिस्ट में डाल दिया गया। इसके बाद आसान किश्त योजना का पर्चा भी घर भेज दिया गया।

तीन चार महीने पहले स्मार्ट मीटर लगने पर इस तरह की शिकायतें आती थी। यह कुछ टेक्निकल फाल्ट के चलते था। इस फाल्ट को ठीक किया जा चुका है। शुरुआती दौरान में छह महीने तक ही मीटर रीडर को इसे देखना था। इसके बाद कंप्यूटर से ऑटोमेटिक जनरेटेड बिल हर महीने कस्टमर को भेजा जा रहा है। अब ऐसी शिकायत नहीं है। फिर भी किसी को शिकायत है तो इसे ठीक कराया जायेगा।

मनोज अग्रवाल

एग्जीक्यूटिव इंजीनियर

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