-प्राइवेट स्कूलों की बढ़ी फीस बिगाड़ देती है घर का बजट

-बच्चों की अच्छी एजुकेशन के चक्कर में पैरेंट्स बन जाते हैं घनचक्कर

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PRAYAGRAJ: हर किसी की ख्वाहिश होती है कि वह अपने बच्चे को बेटर एजुकेशन दे। ऐसे में बच्चों के एडमिशन के लिए पैरेंट्स अक्सर बड़े स्कूलों को ही प्रियॉरिटी देते हैं। लेकिन स्कूलों के लगातार बढ़ती फीस के बारे में कई बार वह खुद को अपडेट नहीं कर पाते। नतीजा, एडमिशन के वक्त ही नहीं, आगे भी उन्हें काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। ऐसे में कई लेवल पर फाइनेंशियल कॉम्प्रोमाइज करना पड़ता है और घर का बजट गड़बड़ा जाता है।

स्कूल की वेबसाइट पर होता है फीस स्ट्रक्चर

किसी भी स्कूल में बच्चों के एडमिशन से पहले बहुत जरूरी है कि वहां का फीस-स्ट्रक्चर पता कर लें। स्कूलों को इस बात का सख्त निर्देश दिया गया है कि वह अपने यहां कोर्स की क्लासवाइज फीस स्ट्रक्चर स्कूल वेबसाइट पर उपलब्ध कराएं। इससे पैरेंट्स बहुत आसानी से अपनी सहूलियत के अनुसार वहां पर क्लासवाइज फीस स्ट्रक्चर देख सकते हैं। इसके बाद वह अपनी फाइनेंशियल कंडीशन के हिसाब से अपने बच्चे के लिए सही स्कूल का सेलेक्शन कर सकते हैं। ऐसे में एडमिशन फार्म लेने के पहले ही पैरेंट्स को स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर के बारे में कंप्लीट इंफॉर्मेशन पता कर लेनी चाहिए।

किसी के कहने पर न चुनें स्कूल

स्कूल सेलेक्शन को लेकर एजुकेशन एक्सपर्ट और सेंट जोसफ कॉलेज के प्रिंसिपल फादर थामस कुमार काफी अहम बात बताते हैं। उनके मुताबिक अक्सर देखने में आता है कि पैरेंट्स सोसायटी में शो-ऑफ करने के चक्कर में महंगे स्कूल का सेलेक्शन कर लेते हैं। इसका बैड इंपैक्ट न सिर्फ उनकी फाइनेंशियल हेल्थ पर पड़ता है, बल्कि फ्यूचर में यह बच्चे के लिए भी ठीक नहीं रहता है। वहीं कई बार पैरेंट्स किसी के कहने पर बच्चे के लिए स्कूल सेलेक्ट कर लेते है। कई बार उनके दिमाग में ये चलता है कि जो उनको नहीं मिल सका, वह बेस्ट अपने बच्चों को दें। उस समय वह अपनी फायनेंशियल सिचुएशन को जज नहीं कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि कम फीस वाले स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है। वहां भी अच्छी पढ़ाई होती है। ऐसे में सिर्फ स्टेटस सिंबल के चक्कर में बड़ा स्कूल सेलेक्ट नहीं करना चाहिए।

अच्छे स्कूलों में भी मिलती हैं सुविधाएं

प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के लिए कई सुविधाएं और डिस्काउंट की व्यवस्था रहती है। एडमिशन से पूर्व इसके बारे में जानकारी ले लें। इसमें अलग-अलग कैटेगरी के अन्तर्गत फीस में डिस्काउंट या पूरी फीस माफ किए जाने की व्यवस्था लागू होती है। अगर इन सुविधाओं का लाभ मिल जाता है तो स्कूल फीस को मैनेज करना भी पैरेंट्स के लिए ईजी हो जाता है।

यह मिलती हैं सुविधाएं

-सिंगल पैरेंट्स वाले बच्चों को कई स्कूल फीस में छूट देते हैं।

-किसी गंभीर बीमारी को लेकर भी कुछ स्कूलों में छूट की व्यवस्था होती है।

-गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के बच्चों के लिए आरटीई के अंतर्गत नि:शुल्क प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने की व्यवस्था होती है।

-अच्छे और ब्राइट स्टूडेंट्स को ज्यादातर स्कूल देते हैं स्कॉलरशिप।

-स्पो‌र्ट्स कैटेगरी में आने वाले बच्चों को भी मिलती है स्कॉलरशिप।

स्कूल का सेलेक्शन करते समय हर पहलू पर विचार करना चाहिए। लेकिन कई बार पैरेंट्स ऐसा नहीं करते हैं। प्राइवेट स्कूलों में भी कई प्रकार के हेल्पिंग प्रोग्राम चलते हैं। इसके तहत एडमिशन में काफी छूट मिलती है।

-फादर थॉमस कुमार

प्रिंसिपल, सेंट जोसफ कालेज