-थोड़े से पैसे कमाने के चक्कर में सुरक्षा दांव पर लगा रहे हैं बस कर्मचारी

-बस में सामान चढ़ाने से पहले चेक करना तो दूर, पूछते तक नहीं

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में सामने आई हकीकत

vinay.ksingh@inext.co.in

PRAYAGRAJ: तीन फरवरी को पीलीभीत डिपो की एक बस में विस्फोटक मिला था। इसके बाद प्रदेश की सभी बसों के लिए अलर्ट मैसेज जारी कर दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद प्रयागराज में गजब की लापरवाही बरती जा रही है। यहां रोडवेज बस ड्राइवर और कंडक्टर सौ-पचास रुपए कमाने के लालच में बिना जांच-पड़ताल कुछ भी बस में लाद ले रहे हैं। यह इतना भी नहीं समझते कि उनकी यह लापरवाही न सिर्फ पैसेंजर्स बल्कि देश के भी बड़ा खतरा बन सकती है। गुरुवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सिविल लाइंस डिपो से चलने वाली बसों का स्टिंग किया तो हकीकत सामने आ गई।

रिसीवर का नाम और मोबाइल नंबर बताइए

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने एक डिब्बे में कुछ कागज भर दिए। इसे लेकर वह सिविल लाइंस डिपो पहुंच गया। यहां से वाराणसी जाने के लिए बस तैयार थी। रिपोर्टर बस में चढ़ा। रिपोर्टर के हाथ में डिब्बा देखते ही कंडक्टर उसकी तरफ आया। आते ही उसने पूछा जिसको देना है उनका नाम और नंबर डिब्बे पर लिख दीजिए। यह सुनते ही रिपोर्टर खुद चौंक गया। कंडक्टर या ड्राइवर ने एक बार भी यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि डिब्बे में क्या रखा गया है? डिब्बा रखते हुए कंडक्टर ने रिपोर्टर से 100 रुपए मांगे। काफी कहने-सुनने के बाद वह 50 रुपए पर राजी हुआ।

रिपोर्टर और कंडक्टर के बीच हुई बातचीत

रिपोर्टर: इस डिब्बे को वाराणसी भेजना है।

कंडक्टर: 100 रुपए लगेंगे।

रिपोर्टर: कुछ कम नहीं हो सकता हैं

कंडक्टर: कम ही है भाई साहब।

रिपोर्टर: फिर भी देख लीजिए? 50 में अगर हो जाए तो?

कंडक्टर: चलिए ठीक है, डिब्बा हलका है, इसलिए 50 भी चल जाएगा।

रिपोर्टर: कहीं भी भिजवाना हो तो इतने ही पैसे लगेंगे क्या?

कंडक्टर: नहीं, दूरी के हिसाब से होता है। अगर यह ही डिब्बा गोरखपुर जाना हो तो पैसे बढ़ जाएंगे।

रिपोर्टर: ठीक है। यह लीजिए पैसा।

कंडक्टर: डिब्बा जिसको देना है उसका नाम और नंबर लिख दीजिए।

रिपोर्टर: जीहां, डिब्बे पर नाम और नंबर लिखा है।

कंडक्टर: ठीक है, डिब्बा मेरी सीट के पास रखवा दीजिए।

रिपोर्टर: अरे भाई साहब, चेक तो कर लीजिए क्या है इसमें?

कंडक्टर: चिंता मत कीजिए। जो भी होगा सही सलामत ठिकाने पर पहुंच जाएगा।

रिपोर्टर: ठीक है।

कहीं हो न जाए बड़ा हादसा

यह तो महज एक बानगी है। सच तो यह है कि हर रोज अलग-अलग बसों से हजारों डिब्बे और अन्य सामान अलग-अलग जगहों पर पहुंचाए जाते हैं। इन पैकेट्स को लेकर कोई भी सावधानी या सतर्कता नहीं बरती जाती है। ऐसे में अगर कभी कोई बड़ा हादसा हो गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

बस में मिला था विस्फोटक

तीन फरवरी को कानपुर से बरेली जा रही पीलीभीत डिपो की बस पर विस्फोटक की बड़ी खेप बरामद हुई थी। इसके बाद विभाग में हड़कंप भी मचा हुआ था। बस और कंडक्टर को कब्जे में लेकर पूछताछ भी की गई थी। इसके बाद भी विभाग सुधरने को तैयार नहीं है।

कर्मचारी अगर ऐसा कर रहे हैं तो यह बड़ी लापरवाही है। बरेली की घटना के बाद से सभी कर्मचारियों को अलर्ट किया गया था। विभाग के पास कोई भी जांच करने वाली मशीन तक नहीं हैं। अब सभी बसों में अब एक नोटिस लगाया जाएगा। इसके बावजूद अगर किसी ने सामान रखा तो उसके खिलाफ एक्शन होगा।

-सीबी राम,

एआरएम सिविल लाइंस डिपो