ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद सर्किट हाउस के पास की जमीन प्लाट नं। 2 (बी 2) सिविल लाइन्स को फ्री होल्ड करने के मामले में प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी विकास को तीन माह में पत्रावली तलब कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि निर्णय लेते समय राज्य सरकार एवं हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। साथ ही डीएम के 25 जनवरी 2010 के आदेश को निरस्त कर दिया है जिसके तहत याची सोसायटी के पक्ष में प्लाट फ्री होल्ड करने से इन्कार कर दिया गया था। यह प्रकरण नये सिरे से निर्णय के लिए राज्य सरकार को वापस भेज दिया गया है।

फ्री होल्ड कर नक्शा पास कराने के समादेश की थी मांग

यह आदेश जस्टिस एपी साही तथा जस्टिस शशिकान्त की खंडपीठ ने संगम उपनिवेषण आवास एवं निर्माण सहकारी समिति लि। की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका द्वारा प्लाट को फ्री होल्ड कर निर्माण का नक्शा पास करने का समादेश जारी करने की मांग की गयी थी। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह व स्थायी अधिवक्ता निमाई दास का तर्क था कि याची सोसाइटी के पक्ष में हुए बैनामे को निरस्त करने का वाद मूल पट्टाधारी ने दाखिल किया। कोर्ट फीस जमा न करने के कारण वाद खारिज हो गया। जिसे पुनरीक्षण अर्जी में चुनौती दी गयी है, जो विचाराधीन है। नगर निगम की इस जमीन के सम्बन्ध में कोई भूमिका नहीं है। तर्क दिया गया कि आनन्द कुमार शर्मा केस में पूर्णपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि केवल फ्री होल्ड की मांग में अर्जी दाखिल करने मात्र से सम्पत्ति में हित निहित नहीं हो जाता। शर्तो के अधीन पट्टे की जमीन पर निबन्ध के उपबन्ध लागू नहीं होंगे। फ्रीहोल्ड करने की अर्जी पर निर्णय होने के समय के नियम लागू होंगे न कि अर्जी दाखिल करने के समय के नियम। कोर्ट ने कहा कि सोसायटी व मूल पट्टाधारक के बीच मुकदमा लंबित जमीन को लोक उपयोग में लाने पर विचार किये जाने के कारण फ्री होल्ड नहीं किया जा सकता। शासनादेश के तहत यदि जमीन लोकोपयोगी कार्य के लिए ली जानी है तो उसे फ्री होल्ड नहीं किया जा सकता। इस सभी प्रश्नों पर विचार करते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव को निर्णय लेने का निर्देश दिया है।