इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा बिना कारण बताओ नोटिस बर्खास्तगी गलत, नये सिरे से निर्णय लेने का निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन (सेन्ट्रल रीजन) इलाहाबाद की केन्द्रीय सुरक्षाबलों के कांस्टेबलों की भर्ती में चयन के बाद अंगूठा निशान व हस्ताक्षर का मैच न करने पर की गयी बर्खास्तगी को रद कर दिया है। साथ ही बर्खास्त दर्जनों कांस्टेबलों को आयोग की भर्ती में तीन साल तक शामिल होने पर लगी रोक भी समाप्त कर दी है। कोर्ट ने एसएससी इलाहाबाद को नियमानुसार चार माह में नये सिरे से निर्णय लेने की छूट दी है।

दर्जनो पहुंचे थे हाई कोर्ट

यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने रणविजय सिंह सहित दर्जनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आयोग ने चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर अंगूठा निशान देने व हस्ताक्षर सत्यापित कराने को कहा और विशेषज्ञ की राय के आधार पर हस्ताक्षर व अंगूठा निशान का मिलान न होने के कारण सभी दर्जनों कांस्टेबलों को बर्खास्त कर दिया गया। याचिका पर अधिवक्ता अशोक खरे व भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह आदि ने पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा कि आयोग ने बर्खास्तगी से पहले किसी को कारण बताओ नोटिस नहीं दी गयी। अंगूठा निशान व हस्ताक्षर के बाद विशेषज्ञ की राय की किसी को जानकारी नहीं दी गयी। किसी भी कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।

तीन साल के लिए बर्खास्तगी रद

विशेषीकृत पहचान पत्र के बावजूद आयोग सही पहचान करने में विफल रहा। याचियों को न केवल बर्खास्त कर दिया गया वरन अगले तीन सालों तक भर्ती में शामिल होने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया। याचियों के चयन के बाद प्राविधिक चयन को रद कर आयोग ने अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया है। अप्रैल 2014 को याचीगण सीआरपीएफ कांस्टेबल पद पर चयनित किये गये। परिणाम पुनरीक्षित किया गया था। अंगूठा निशान व हस्ताक्षर लेकर सेन्ट्रल फोरेन्सिक साइन्स लैबोरेटरी में जांच करायी गयी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर सभी को बर्खास्त कर दिया गया था।