13 साल से पेंशन के लिए भटक रहा था कर्मचारी, कोर्ट ने कहा, भुगतान में देरी करने वाले अधिकारी से ही ब्याज की वसूली करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 साल से पेंशन के लिए सरकारी कार्यालय का चक्कर लगा रहे सेवानिवृत्त कर्मचारी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने वाले अधिकारियों से ब्याज के भुगतान की भरपायी करने का आदेश दिया है।

आठ फीसदी ब्याज भी देना होगा

कोर्ट ने मुरादाबाद के अपर निदेशक पेंशन एवं कोषागार के 17 मार्च 16 को जारी आदेश पर एक माह में आदेश पारित कर उसके दो माह के भीतर नलकूप विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी को वेतनवृद्धि देते हुए पेंशन आदि का 8 फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि भुगतान में देरी होती है तो सरकार लापरवाह अधिकारियों से देरी से भुगतान पर दिये जाने वाले ब्याज की वसूली करें। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने नलकूप विभाग अमरोहा से सेवानिवृत्त कर्मचारी धर्मवीर सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

कोई विभागीय जांच भी पेंडिंग नहीं

याची की 2005 में सेवानिवृत्त हुआ। उसके खिलाफ कोई विभागीय जांच भी नहीं चल रही है। इसके बावजूद उसे वेतनवृद्धि देकर पेंशन आदि सेवानिवृत्त परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया। हालांकि 2016 में अपर निदेशक पेंशन कोषागार ने याची के दावे को स्वीकार भी कर लिया है और भुगतान का विभाग को आदेश भी जारी कर दिया है। इसके बावजूद भुगतान नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा तो हलफनामे में याची के दावे को अस्वीकार कर दिया गया। जब कोर्ट ने अपर निदेशक के आदेश के बाबत पूछा तो कहा कि सरकारी वकील ने गलती मानी और कहा कि पुराने रिकर्ड के आधार पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया था। अब विभाग भुगतान करने जा रहा है। कोर्ट ने विभाग के रवैये को दु:खद बताया और कहा कि पेंशन दावे के लिए कर्मचारी को 13 सालों तक इन्तजार करना पड़ा और हलफनामा भी मनमाने तौर पर दाखिल कर दावे को अस्वीकार कर दिया और फिर दावे को स्वीकार करने का आश्वासन दिया। याचिका निस्तारित हो गयी है।