1181

नयी कोर्ट बनाने का प्रस्ताव है उत्तर प्रदेश में

371

कोर्ट का निर्माण कार्य वर्तमान में चल रहा है

810

कोर्ट की बिल्डिंग बनाने को मांगा गया है चार साल का समय

60

फीसदी धन भवन-रेजीडेंस निर्माण के लिए देती है केन्द्र सरकार

40

फीसदी धन की व्यवस्था करती है प्रदेश सरकार

610

कोर्ट का संचालन एक जुलाई 2019 से करने का निर्देश

3400

से अधिक पद हैं अधीनस्थ न्यायालयों में जजों के

जजों के स्वीकृत पदों के अनुरूप प्रदेश में न कोर्ट रूम है और न रेजीडेंस

मुकदमों की पेंडेंसी कम करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने बुधवार को महत्वपूर्ण पहल की। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को आदेश दिया कि वह 610 जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया हर हाल में जून 2019 तक पूरी करके उन्हें ज्वाइन कराए ताकि 1 जुलाई 2019 से इनकी कोर्ट अस्तित्व में आ जाए। इनके बैठने के लिए भवन न होने पर कोर्ट ने किराये के कमरे रेजीडेंस के साथ कोर्ट की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस पर पुख्ता कार्ययोजना तलब की है इस पर अगली सुनवाई के दिन 26 सितंबर को चर्चा होगी।

यूपीपीएससी से मांगा भर्ती शेड्यूल

अदालत भवनों व न्यायिक अधिकारियों की भारी कमी को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस यशवन्त वर्मा की पूर्णपीठ कर रही है। बुधवार को पूर्ण पीठ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को 610 ज्यूडिशियल ऑफिसर्स की भर्ती प्रक्रिया जून 2019 तक पूरी कर लेने का निर्देश दिया और कहा कि जून में नियुक्ति जारी की जाय ताकि जुलाई 19 से सभी नवनियुक्त न्यायिक अधिकारी कार्य करना शुरू कर दें। कोर्ट ने आयोग के सचिव को भर्ती प्रक्रिया की समय सारिणी हलफनामे के मार्फत अगली सुनवाई की तिथि 26 सितम्बर को दाखिल करने को कहा है।

राज्य के मुख्य सचिव का हलफनामा

610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती की जा रही है

371 कोर्ट रूम का निर्माण जून 19 तक पूरा कर लिया जाएगा

646 कोर्ट रूम बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है

जून 2020 तक बजट मिलने पर निर्माण कराया जा सकेगा

सरकार के अपर महाधिवक्ता का कहना था कि कोर्टो के निर्माण आदि के खर्च केंद्र व राज्य सरकारें संयुक्त रूप से वहन करती हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

किराये पर कोर्ट रूम व रिहायशी व्यवस्था की जाय

स्टॉफ दिये जाय ताकि जुलाई 19 से 3300 न्यायिक अधिकारी न्यायिक कार्य कर सकें

ऐसा न हो कि बड़े कमरों में दो जज बैठा दिए जाएं जिससे कार्य प्रभावित हो

सरकार ठोस प्रस्ताव बनाकर दे। कोर्ट के निर्देश पर आयोग के सचिव, प्रमुख सचिव न्याय व प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग व महानिबन्धक कोर्ट में मौजूद थे।

कोट

जज होंगे, कोर्ट नहीं होगी तो क्या सरकार बिना लाभ लिए जजों को तनख्वाह देगी।

हाई कोर्ट इलाहाबाद