शिवकुटी में रिटायर दरोगा की हत्या का मामला, सीनियर ऑफिसर करेंगे जांच

कमजोर विवेचना पर दरोगा का तबादला रिमोट एरिया में करने का आदेश

रिटायर दरोगा की दिनदहाड़े पीट-पीटकर हत्या की विवेचना कमजोर ढंग से की गयी। रिमांड मांगने में गैर जमानती धाराओं की जानकारी नहीं दी गयी। इसका फायदा उठाकर कई आरोपी जमानत पर छूट गये। उनकी जमानत निरस्त किये जाने का भी कोई प्रयास नहीं किया गया। यह दर्शाता है कि विवेचना का तरीका ठीक नहीं है। हाई कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए विवेचक धर्मेन्द्र सिंह यादव का तबादला रिमोट एरिया में करने और जांच किसी सीनियर अधिकारी को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसी प्रकरण में 27 को एसएसपी को तलब भी कर लिया है।

मकान की जांच ही नहीं हुई

यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने दिया है। रिटायर दरोगा अब्दुल समद खां ने हत्या आरोपियों के अवैध भवन का ध्वस्तीकरण न किये जाने की शिकायत की थी। इसी को लेकर भवन स्वामी के परिवारवालों ने दिनदहाड़े गली में पीट-पीटकर उन्हें मौत की नींद सुला दिया। घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गयी। इसके बाद भी दरोगा ने किसी भी चश्मदीद गवाह का बयान दर्ज करने का प्रयास नहीं किया। हत्या का कनेक्शन धवस्त हुए मकान से है। इस दिशा में जांच भी नहीं की गयी।

विवेचनाधिकारी सवालों के घेरे में

कोर्ट ने माना कि विवेचनाधिकारी के जांच के तरीके से केस कमजोर हो रहा है। उन्होंने रिमांड मांगने की अर्जी में गैर जमानती धाराएं नहीं लिखी। इससे गिरफ्तार कई आरोपियों को जमानत मिल गयी। इसके बाद भी जमानत निरस्त कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया। अधीनस्थ अदालत को यह नहीं बताया गया कि विवेचना की हाई कोर्ट निगरानी कर रही है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विवेचक को तत्काल केस की विवेचना से हटाया जाय और सीनियर अधिकारी को विवेचना सौंपी जाय।