चुनौती याचिका पर सुनवाई जारी, नाम बदलने से पहले आपत्ति न मांगना है याचिका का आधार

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इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की सरकारी अधिसूचना की वैधता की चुनौती याचिका की सुनवाई जारी है। सुनवाई 4 दिसम्बर को होगी। कोर्ट ने नाम बदलने की कार्यवाही देखने के लिए पत्रावली तलब की है। यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

नियमानुसार जारी की गयी अधिसूचना

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनन्दन, वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा, एसएफए नकवी व वीसी श्रीवास्तव, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, एके गोयल ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना है कि राजस्व संहिता की धारा 6 (2) के तहत नाम बदलने की अधिसूचना जारी की गयी है। नोटीफिकेशन जारी करने से पहले आपत्ति मांगी जानी चाहिए थी। इसमें नाम बदलने का कारण बताना चाहिये था। इस पर आने वाली आपत्तियों पर विचार करना चाहिए था। ऐसा न करके नागरिकों के एक ग्रुप को खुश करने के लिए मनमाने तौर पर शहर का नाम बदल दिया गया जिससे गंगा यमुनी तहजीब को नुकसान पहुंच रहा है।

नियमानुसार ही लिया गया निर्णय

अपर महाधिवक्ता का कहना है कि धारा 5 के परन्तुक में राज्य सरकार को नाम बदलने का अधिकार है। एरिया में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में आपत्ति लेने की प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं है। प्रयाग के पौराणिक महत्व व जनता की वर्षो की मांग को देखते हुए कमेटी के प्रस्ताव पर सरकार ने नियमानुसार निर्णय लिया है। याचिका की सुनवाई 4 दिसम्बर हो होगी।