डिग्री कालेज में सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला

जीव विज्ञान की चयन सूची नियुक्ति के लिए भेजने का हाई कोर्ट का निर्देश

पर्यावरण साइंस वालों की नियुक्ति लंबित रखी गयी, सरकार को तय करने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि डिग्री कालेजों के सहायक प्रोफेसरों के पद पर नियुक्ति की शैक्षिक अर्हता तय करने का आयोग को अधिकार नहीं है। यह अधिकार यूजीसी व राज्य सरकार को है। उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज ने जीव विज्ञान के 106 सहायक प्रोफेसरों की भर्ती में विशेषज्ञों की राय से पर्यावरण साइंस डिग्री धारकों को भी चयनित कर लिया जिसे याचिका में यह कहते हुए चुनौती दी गयी कि जीव विज्ञान के लिए निर्धारित योग्यता लाइफ साइंस के साथ नेट पास होना तय किया गया है। आयोग से क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर चयन किया है।

लाइफ साइंस डिग्री धारक शामिल

कोर्ट ने पर्यावरण साइंस के साथ नेट योग्यता रखने वाले चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति लंबित रखने का निर्देश दिया है और आयोग को 25 अगस्त 2018 की चयन सूची जिसमें लाइफ साइंस डिग्री धारकों को शामिल किया गया है। नियुक्ति के लिए तत्काल भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि आयोग पर्यावरण साइंस को अर्हता में शामिल करने के लिए विशेषज्ञों की राय के साथ राज्य सरकार को तत्काल अपनी संस्तुति भेजे और सरकार 6 हफ्ते में नियमानुसार यूजीसी की 16 अप्रैल 16 के जवाब के अनुसार विचार कर निर्णय ले। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने मनीष कुमार सोनकर की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे तथा आयोग के अधिवक्ता बीएन सिंह ने बहस की। याचिका का कहना है कि वे निर्धारित अर्हता रखते हैं। प्रतीक्षा सूची में है, उन्हें नियुक्त न कर पर्यावरण साइंस वालों की नियुक्ति की गयी है, जो गलत है। आयोग को पद की अर्हता करने का अधिकार नहीं है। आयोग ने 25 अगस्त 18 को चयन परिणाम घोषित किया है।