हाई कोर्ट ने पूछा, क्या सरकार नशे का व्यापार करना चाहती है

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी व अन्य समारोह में आयोजकों को कुछ घंटे के लिए शराब पिलाने का अस्थायी लाइसेंस देने की नीति पर तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को राजस्व वसूली की चिंता है, युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही, इसकी परवाह नहीं है। नशे की लत से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। शराब, ड्रग्स, हुक्का बार पर नियंत्रण होना चाहिए। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार नशे का व्यापार करना चाहती है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर 21 दिसम्बर तक राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

बच्चों महिलाओं पर बुरा प्रभाव

यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने कानपुर नगर के पैरेन्ट गार्जियन एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता रमेश उपाध्याय का कहना है कि सरकार की नीति के कारण बच्चों महिलाओं व युवा पर खराब असर पड़ रहा है। शादी समारोह में परिवार शामिल होता है। आबकारी विभाग ऐसे समारोह में शराब पीने की अनुमति देकर राजस्व वसूली में लगा है। राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय का कहना था कि आबकारी नीति के तहत रात साढे़ सात बजे से साढे़ दस बजे तक का ही लाइसेंस दिया जाता है। इसका हुक्का बार से कोई संबंध नही है। किसी अन्य नशे की अनुमति नहीं दी जाती है।