हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ही मुद्दे को लेकर बार-बार याचिका दाखिल करने पर 50 हजार हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है और कहा है कि हर्जाना राशि उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाय। एक माह में हर्जाना जमा नहीं होता तो अथॉरिटी राजस्व वसूली प्रक्रिया के तहत याची से वसूल करे।

मुर्गी फॉर्म हटाने का मामला

यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राजू विश्वकर्मा की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिया है। बता दें कि बारा तहसील की गांव सभा गरहा कटरा के गांव हरही में वेंन्किज इंडिया प्रा.लि। कम्पनी मुर्गी पालन का व्यवसाय कर रही है। कम्पनी से गांव में प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका कायम कर उसे शिफ्ट करने की मांग की जो खारिज हो गयी। फिर दूसरी जनहित याचिका पर कोर्ट ने मुख्य पर्यावरण अधिकारी को कार्यवाही का निर्देश देते हुए निस्तारित कर दी। तीसरी जनहित याचिका की निर्देश के साथ निस्तारित हो गई। आदेश का पालन नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दाखिल किया। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यवाही से संतुष्ट होकर अवमानना याचिका निस्तारित कर दी। बोर्ड द्वारा जारी नोटिस पर कार्यवाही की मांग में चौथी जनहित याचिका दाखिल की।

प्रदूषण रोकना लक्ष्य नहीं

कोर्ट ने कहा कि कार्यवाही होने के बावजूद बार-बार याचिका किस उद्देश्य से कर रहे हैं। उद्देश्य व्यक्तिगत लग रहा है। याची ने कहा कि वह दूसरे गांव का है, जनहित में गांव में प्रदूषण रोकने के लिए याचिका दाखिल की है। कोर्ट ने इस पर कहा कि लगता है कि याची को प्रदूषण से सरोकार नहीं है। उसका लक्ष्य गांव से कम्पनी को शिफ्ट करना है। यह याचिका निजी हित साधने को लेकर दाखिल की गयी है। इस पर कोर्ट ने हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। कहा कि याची ने जनहित याचिका के उपबन्ध का दुरुपयोग किया है।