आशंका पर दाखिल की गयी थी याचिका

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती व अन्य संतों को कुंभ मेले में शंकराचार्य के रूप में जमीन व सुविधाएं देने पर रोक लगाने व सुविधाएं वापस लेने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। मेला प्रशासन ने कोर्ट को बताया कि इन्हें शंकराचार्य की सुविधाएं न देकर सामान्य प्रकृति की सुविधाएं ही दी गयी है। ऐसे में कोई वाद कारण उत्पन्न ही नहीं होता। जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।

याचिका पोषणीय ही नहीं

यह आदेश जस्टिस पीके जायसवाल तथा वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राजेन्द्र प्रसाद मिश्र की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि मेला प्रशासन फर्जी शंकराचार्यो को सरकारी सुविधाएं दे रहा है जो कोर्ट आदेश का उल्लंघन है। राज्य सरकार की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाये गये। कहा गया कि ज्योतिपीठ शंकराचार्य विवाद में याची पक्षकार नहीं है। उसे निर्णय को लागू कराने का अधिकार नहीं है। विवाद स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के बीच सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वासुदेवानन्द सरस्वती की तरफ से अधिवक्ता एससी मिश्र व पूजा मिश्र ने वकालतनामा दाखिल किया। हालांकि उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया था। कोर्ट ने आशंका पर दाखिल याचिका खारिज कर दी।