कोर्ट ने कहा सरकार जो सीधे नही कर सकती उसे अपरोक्ष रूप से भी नही कर सकती

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में सभी सिनेमाहालों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया आदि पर शराब के प्रचार विज्ञापन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सीडी, म्यूजिक कैसेट गोल्फ बाल आदि के विज्ञापन के साथ परोक्ष रूप से शराब के ब्रांड के विज्ञापन पर रोक का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार, आबकारी आयुक्त व पुलिस अधिकारियों को आदेश की आवहेलना करने वालों पर कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जो कार्य सीधे नही किया जा सकता उसे अपरोक्ष रूप से सरोगेसी की तरह भी नही किया जा सकता.

25 हजार हर्जाना पाने का हकदार

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा अजीत कुमार की खंडपीठ ने स्ट्रगल अगेंस्ट पेन के अध्यक्ष मनोज मिश्र की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने याची को 25 हजार हर्जाना पाने का हकदार ठहराया है. याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष मिश्र ने बहस की. याचिका में शराब निर्माता कम्पनियों को भी पक्षकार बनाया गया था. उन्हें ही हर्जाना राशि का भुगतान करना होगा. कोर्ट ने कहा कि अपरोक्ष रूप से अन्य उत्पाद के प्रचार में शराब के ब्रांड नाम का इस्तेमाल करना शराब पीने को बढ़ावा देता है. संविधान के अनुच्छेद 47 व आबकारी कानून की धारा 3 में दवा बनाने के सिवा नशीले पदाथरें के प्रचार को प्रतिबंधित किया गया है. भारी राजस्व की आय के चलते सरकार इसका पालन नही कर रही है. शराब निर्माता कम्पनियां दूसरे प्रोडक्ट के नाम रप शराब का विज्ञापन कर रही हैं.