जेलों में भीड़ पर हाई कोर्ट सख्त, प्रमुख सचिव गृह से किया सवाल
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सांसद-विधायकों को बड़े-बड़े देने के लिए पैसा है और जेल मैन्युवल में किये गये प्रावधान के अनुसार बंदी कैदियों को सुविधा देने के लिए नहीं? यह सवाल शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उठाया और प्रमुख सचिव गृह से प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की स्थिति पर व्यक्तिगत हलफनामा मांग लिया. कोर्ट ने 15 दिन में योजना तैयार कर कोर्ट में पेश करने को भी कहा है. सुनवाई 15 मई को होगी. यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने सुशीला देवी व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
कोर्ट ने सरकार से पूछा
1950 के बाद कितने नये जले बने है
प्रदेश में कितने जेल हैं और इसमें कितने कैदी हैं
एजीए मुर्तजा अली ने कोर्ट को बताया
प्रदेश में 22 सेंट्रल जेल हैं.
प्रदेश की जेलों में क्षमता से काफी अधिक कैदी जेलों में बंद है.
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
सांसदों, मंत्रियों के लिए सरकार बड़े-बड़े बंगले देती है.
आवश्यकता से अधिक सरकारी वकील नियुक्ति किये है
कैदियों को जेलों की क्षमता से डेढ़ गुना अधिक की संख्या में जेलों में बंद किया गया है.
सरकार कैदियों की स्थिति को लेकर गंभीर नहीं है.
जेलों में जगह न होने के बावजूद कैदी भेजे जा रहे हैं.