पार्षद कमलेश सिंह ने हाई कोर्ट में दाखिल की याचिका, सुनवाई 12 को

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न इंफ्रास्ट्रक्टर है और न ही कैबिनेट ने कोई फैसला लिया है। गजट नोटीफिकेशन भी नहीं है। इसके बाद भी पुलिस मुख्यालय को प्रयागराज से हटाकर लखनऊ शिफ्ट करने का कोई औचित्य नहीं है। इन तर्को के साथ शुक्रवार को पार्षद कमलेश सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका की सुनवाई जस्टिस विक्रमनाथ तथा जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ ने की। अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।

डीआईजी कार्मिक का आदेश

याची की ओर से अधिवक्ता केके राय व चार्ली प्रकाश तथा राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की। उपमहानिरीक्षक कार्मिक ने पुलिस मुख्यालय को लखनऊ ले जाने का आदेश दिया है। इसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक विधि प्रकोष्ठ ने फाइलों, फर्नीचर आदि को शिफ्ट कराने का निर्देश दिया। इसका निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि मुख्यालय हटाने का कोई गजट नोटिफिकेशन नहीं है, न ही कैबिनेट ने कोई निर्णय लिया है। मुख्यालय को हटाने के लिए कोई सर्वे, अध्ययन भी नहीं किया गया है। ब्रिटिशराज के कानूनी आदेश से स्थापित और 100 साल से सफलतापूर्वक संचालित पुलिस मुख्यालय को उच्च पदस्थ नौकरशाहों की सुख-सुविधा के लिए किसी अधिकारी के आदेश से नहीं हटाया जा सकता है। जो आदेश प्रशासनिक है और जिसमे कोई विधिक बल नहीं है।

कर्मचारियों के लिए सरकारी भवन भी नहीं

याचिकाकर्ता का तर्क था कि लखनऊ में ही आठ लाख महीने से किराए पर पुलिस भर्ती बोर्ड का कार्यालय चलाया जा रहा है जिसे उस सरकारी भवन में स्थानांतरित करना चाहिए। इसके अलावा लखनऊ में महंगे किराए पर कई पुलिस कार्यालय चलाये जा रहे हैं। लखनऊ में एक भी कर्मचारियों के लिए सरकारी भवन नहीं है, जबकि प्रयागराज में 80 फीसदी पुलिस मुख्यालय के लिपिक को कमरा मिला हुआ है। चयन, पदोन्नति, दंड अपील, बजट, नए निर्माण, वर्दी, सुरक्षा वर्दी की खरीदारी, चिकित्सा देय, मेडल, शहीद परिवारों को वित्तीय सहायता जैसे महत्वपूर्ण कार्य पूरी तरह पुलिस मुख्यालय प्रयागराज से ही होते हैं। वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि ऐसी याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है।