हाईकोर्ट ने कहा, न्याय प्रक्रिया का किया गया दुरुपयोग, दोनों को 50-50 हजार रुपये जमा करने का आदेश

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मनमानी इस पैमाने पर हुई कि धाराओं में हुआ संशोधन भी भूल गये। उस धारा में रिपोर्ट में दर्ज कर दी जिसका अब अस्तित्व ही नहीं है। प्रिंसिपल ने शिकायत की तो दरोगा ने भी उसी धारा के प्रावधानों के अनुसार चार्जशीट भी फाइल कर दी। मामला हाई कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया। प्रिंसिपल और एसआई दोनों को न्याय प्रक्रिया के दुरुपयोग का जिम्मेदार माना और 50-50 रुपये का जुर्माना दोनों पर ठोंक दिया। यह धनराशि जमा करने के लिए उन्हें दो महीने का मौका दिया गया है। इसमें 80 हजार याची को और 20 हजार रुपए लीगल एड कमेटी को दिया जाएगा

केएन काटजू इंटर कॉलेज का मामला

यह प्रकरण केएन काटजू इंटर कालेज प्रयागराज का है। कोर्ट ने याची के खिलाफ दाखिल चार्जशीट व न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी सम्मन आदेश को रद कर दिया है। यह आदेश जस्टिस एसके सिंह ने नवल डे भारती की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने डीजीपी उत्तर प्रदेश को कानून व्यवस्था एवं पुलिस विवेचना के तरीके पर दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। याची के खिलाफ प्रधानाचार्य ने राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा 2016 की द्वितीय पाली में उत्तर पुस्तिका लेकर भागने के आरोप में कीडगंज थाने में एफआइआर दर्ज कराया था।

चेक ही नहीं किया सीसीटीवी कैमरा है

याची का कहना था कि उसने परीक्षा के बाद पुस्तिका परीक्षक को दे दी थी। विवेचना पुलिस ने पुस्तिका बरामद नहीं की। बिना ठोस दस्तावेजी साक्ष्य के बयान के आधार पर चार्जशीट दाखिल कर दी। मजिस्ट्रेट ने प्रोफार्मा आदेश भरकर सम्मन आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायिक आदेश प्रोफार्मा आदेश नहीं होना चाहिए। विवेक का इस्तेमाल कर आदेश जारी करना चाहिए। विवेचक ने यह जानने की कोशिश नहीं किया कि परीक्षा स्थल पर सीसीटीवी कैमरा लगा था या नही? बिना सबूत चार्जशीट दाखिल कर दी।

कोर्ट ने कहा

अपराध की विवेचना संविधान के अनुच्छेद 20 व 21 के तहत जीवन के मूल अधिकार का हिस्सा है।

विवेचना निष्पक्ष, भेदभावरहित व कानूनी प्रकिया के तहत होनी चाहिए।

परीक्षा अधिनियम 1982 की धारा 3/10 में एफआइआर दर्ज की गयी है, जिसका अस्तित्व ही नहीं है।

न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के मामले में पीडि़त को हर्जाना पाने का अधिकार है।

दो माह में हर्जाना बैंक ड्राफ्ट के जरिए महानिबंधक के समक्ष जमा किया जाए।