पीआईएल पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिगहोमों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज किये जाने में नियमों की अनदेखी होने पर नाराजगी व्यक्त की है। मेडिकल वेस्ट का नियमानुसार निस्तारण कराने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा है।

लॉ स्टूडेंट्स की याचिका

यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ व पंकज भाटिया की खंडपीठ ने विधि छात्रा वैशाली सिंह व 11 अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने क्षितिज शैलेंद्र व आशीष मिश्र को न्यायमित्र नियुक्त किया है। जो याचिका पर बहस करेंगे। कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा गंभीर है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। इस मामले पर उचित कार्रवाई की जरूरत है, क्योंकि यह जनहित से जुड़ा मामला है। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी पक्षकार बनाया गया है।

जानवरों के लिए भी हानिकारक है मेडिकल वेस्ट

याचिका में कहा गया है कि मेडिकल कचरा जानवरों के साथ मानव के लिए भी हानिकारक है। प्राइवेट अस्पतालों का मेडिकल कचरा जानलेवा बीमारियां फैला रहा है। कानून के तहत राज्य का दायित्व है कि वह कचरा के संकलन व निस्तारण का प्रबंध करे। ऐसी व्यवस्था न होने से कूड़ा बीनने वाले गरीब लोग संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यह गंभीर अपराध है, जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। याचिका की सुनवाई 30 अगस्त को होगी।