नजूल जमीन को फ्री होल्ड करने की अर्जियों पर निर्णय न लेने पर हाई कोर्ट नाराज

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1999 में बनी नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की पॉलिसी सभी प्रशासनिक अधिकारियों पर बाध्यकारी है। वह बिना निर्णय लिए अर्जियों को अनिश्चितकाल के लिए लटका कर नहीं रख सकते। सरकार की नीति को लागू न करना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी गुरुवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री को इस आशय का सभी जिलाधिकारियों व अपर जिलाधिकारियों (नजूल) को परिपत्र जारी करने का आदेश देते हुए कहा है कि इन मामलों को छह माह के भीतर निस्तारित किया जाय।

प्रयागराज से दाखिल हुई याचिका

यह आदेश जस्टिस शशिकांत गुप्ता और पंकज भाटिया की खंडपीठ ने डॉ। अशोक तहलियानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने प्रयागराज में न्याय मार्ग स्थित याची के नजूल प्लाट को फ्री होल्ड करने की जनवरी 1999 से लंबित अर्जी को निर्धारित चार्ज लेकर तीन माह में निर्णीत करने का भी आदेश दिया है। अर्जी एडीएम नजूल प्रयागराज के समक्ष लंबित है। कोर्ट ने फ्री होल्ड मामले में दाखिल याचिकाओं पर सरकार द्वारा जवाब दाखिल करने में छह से 12 साल लगाने पर भी टिप्पणी की है। कहा कि अधिकारी अपने विधिक दायित्व का निर्वाह नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने पूरे प्रदेश में फ्री होल्ड करने विचाराधीन व दाखिल होने वाली अर्जियों के समय के भीतर निस्तारण का निर्देश जारी किया है।