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PRAYAGRAJ : गैंगरेप के आरोपित समाजवादी पार्टी के विधायक तेजेन्द्र उर्फ योगेन्द्र सागर की जमानत इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निरस्त कर दी है. कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने के लिए एक अप्रैल तक का मौका दिया है और कहा है कि यदि वह सरेंडर नहीं करते तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दे. जरूरत के अनुसार ही उन्हें विचारण न्यायालय में पेश किया जाय.

पीडि़ता के पिता की अर्जी पर आदेश
यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने बिलसी बदायूं निवासी कुलदीप किशोर शर्मा की आर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है. घटना 23 अपै्रल 08 की है. आरोप है कि पीडि़ता परीक्षा देने के लिए जा रही थी. इसी दौरान विधायक और उनके साथियों ने उसका अपहरण कर लिया और ड्रग्स देकर बेहोश करने के बाद उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. अपहरण में विधायक व साथी नीरज शर्मा शामिल था. 17 मई 08 को मुजफ्फर नगर रेलवे स्टेशन से पीडि़ता की बरामदगी की गयी. पुलिस ने अपहरण व गैंगरेप के आरोप में दर्ज मामले की जांच करते हुए फाइनल रिपोर्ट पेश की. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और पीडि़ता के पिता की आपत्ति को इस्तगासा मानकर कार्यवाही शुरू की. दो बार गैर जमानती वारंट व कुर्की आदेश के बावजूद आरोपी विधायक कोर्ट में हाजिर नहीं हुए.

हाई कोर्ट के आदेश पर किया था सरेंडर
मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने प्रमुख सचिव को आदेश दिया कि या तो वे विधायक को गिरफ्तार करें या कोर्ट में खुद हाजिर हों. इसके बाद 3 जून 2014 को विधायक ने समर्पण किया. कुछ दिनों बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे सत्र न्यायाधीश ने उसे जमानत दे दी. कहा लखनऊ, दिल्ली व अन्य स्थान कहां पर दुराचार हुआ स्पष्ट नहीं है और विधायक पर अपहरण का अरोपी भी नही है. जमानत दिये जाने को हाईकोर्ट में चैलेंज करते हुए जमानत निरस्त करने की अर्जी दी गयी. कोर्ट ने कहा कि राजनैतिक छत्रछाया के चलते पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नही किया. शीर्ष अधिकारी के हस्तक्षेप पर समर्पण कराया गया. आरोपी ने पीडि़ता के परिवार को परेशान करने की कोई कोर कसर नही छोड़ी. जमानत का दुरुपयोग किया. पांच साल बाद भी विचारण पूरा नही हो सका. यह जमानत निरस्त किये जाने का पर्याप्त आधार है.