इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अधिवक्ता को जारी किया कारण बताओ नोटिस, 26 को कोर्ट में पेश होने का आदेश

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वकालतनामा दो केस में लगा था। एक केस फ‌र्स्ट अपील का था और दूसरे में सुनवाई चल रही थी। फ‌र्स्ट अपील को अवॉयड करना संभव नहीं था तो जूनियर से बोल दिया कि केस में प्रजेंट होकर बता दें कि शादी में शामिल होने सिद्धार्थनगर गये हैं, लिहाजा नेक्स्ट डेट दे दी जाय। दूसरे केस में प्रजेंट नहीं हुए और जूनियर से स्लिप भेजकर लगवा दिया कि बीमारी के चलते कोर्ट में प्रजेंट होने में समर्थ नहीं हैं। इसी के बेस पर नेक्स्ट डेट दे देन का आग्रह किया गया। यहां कोर्ट ने उनकी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर लिया। लेकिन, नयी डेट देने के लिए लगायी गयी स्लिप अधिवक्ता के लिए मुसीबत का पैगाम लेकर आयी है। प्रथम अपील की सुनवाई कर रही कोर्ट ने झूठ को सीरियसली लेते हुए अधिवक्ता को नोटिस जारी कर दिया। पूछ लिया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाय।

न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग

इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ता त्रिपाठी बीजी भाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने गलत सूचना देकर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। कहा कि अधिवक्ता ने बीमारी की स्लिप दी है और सिद्धार्थनगर में स्वस्थ तंदुरुस्त शादी समारोह में गये हैं। न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए क्यों न अवमानना कार्रवाई की जाय? यह आदेश जस्टिस विवेक अग्रवाल ने रामफेर व अन्य की प्रथम अपील पर दिया है।

दोनो वकीलों की कॉल डिटेल मंगवाने का आदेश

कोर्ट ने अधिवक्ता त्रिपाठी बीजी भाई को 26 फरवरी को हाजिर होने का निर्देश दिया है। अधिवक्ता लवकुश कुमार शुक्ल ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने की मांग की कि त्रिपाठी बीजी भाई शादी समारोह में शामिल होने सिद्धार्थनगर में है, उनकी फोन पर बात हुई है। जबकि दूसरे केस में उन्होंने बीमार होने की स्लिप दी है। कोर्ट ने स्लिप को सील कर दिया और अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी से कहा कि वह एसएसपी प्रयागराज से दोनों वकीलों की कॉल डिटेल्स मंगा लें। याचिका पर अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी।