कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्णय लेने का दिया निर्देश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विंध्यवासिनी चित्र मंदिर चंदौली के खिलाफ जारी 21 लाख 29 हजार 726 रुपये के मनोरंजन कर की वसूली पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के आलोक में दोनों पक्षों को सुनकर तीन माह में निर्णय लेने का आदेश दिया है। कहा कि जब तक राज्य सरकार इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले लेती, तब तक याची के विरुद्ध जारी वसूली कार्यवाही के तहत उत्पीड़न न किया जाए।

यह आदेश जस्टिस प्रदीप कुमार सिंह बघेल व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने चंदौली के राजेंद्र प्रताप सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता गोविंद कृष्ण का कहना था कि राज्य सरकार के 21 जुलाई 1986 के शासनादेश के तहत प्रोत्साहन योजना लागू की। इसके तहत सिनेमा भवन का निर्माण कराया गया। सरकार के अनुदान से निर्माण किया गया। सिनेमा भवन समय के भीतर निर्माण नहीं हो सका। इसके बावजूद समय अवधि पूरी होने की तारीख से उससे मनोरंजन कर वसूला जा रहा है। जबकि एक निश्चित अवधि के लिए कर वसूली न किये जाने की योजना है। सरकार के शासनादेश के उद्देश्यों को विपरीत वसूली की जा रही है। कोर्ट ने कहा जब सरकार ने चलचित्र नियमावली के तहत सिनेमाघरों को प्रोत्साहन की योजना तैयार की तो उत्पीड़न कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।