हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद मुकदमा रद करने से किया इन्कार

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के आरोप में वरिष्ठ सपा नेता और रामपुर के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ रामपुर की अदालत में चल रहे मुकदमे व चार्जशीट को रद करने से इन्कार कर दिया है। यह आदेश जस्टिस मंजूरानी चौहान ने मो। आजम खां व दो अन्य की याचिका पर दिया है।

एसीजेएम कोर्ट से जारी है सम्मन

एक राजनीतिक दल के क्षेत्रीय संयोजक आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम खां को स्वार से विधायक बनवाने के लिए फर्जी जन्म तारीख तैयार कराने का आरोप लगाया है। पुलिस की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम रामपुर ने आरोपियों को सम्मन जारी कर हाजिर होने का आदेश दिया है। मुकदमे की कार्रवाई व चार्जशीट को रद करने की मांग में दाखिल याचिका कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि चार्जशीट से प्रथम दृष्टया आपराधिक मुकदमा चलाने का पर्याप्त आधार मौजूद हैं। ऐसे में मुकदमा रद करने का कोई औचित्य नहीं है।

किसी को भी एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार

कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार है। चार्जशीट से प्रथम दृष्टया आपराधिक केस बनता हो तो आरोप के साक्ष्य पर मुकदमे के विचारण के समय विचार किया जाएगा। कोर्ट के इस फैसले से आजम खां के परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गौरतलब है कि अब्दुल्ला आजम खां ने हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, बीटेक व एमटेक की शिक्षा हासिल किया है। इनके शैक्षिक अंक व प्रमाण पत्रों में उनकी जन्म तारीख एक जनवरी 1993 दर्ज है, जबकि 28 जून 2012 को अब्दुल्ला आजम खां ने रामपुर नगर पालिका परिषद से जन्म तारीख का नया प्रमाणपत्र बनवाया गया। इसमें बदलाव करते हुए जन्म तारीख 30 सितंबर 1990 कर दी गई। इसे निरस्त कराये बगैर नगरपालिका परिषद लखनऊ से 2015 में दोबारा 30 सितंबर 1990 की जन्म तारीख का प्रमाण पत्र बनाया गया। धोखाधड़ी, कूटकरण के आरोप में तीनों लोगों के खिलाफ आकाश सक्सेना ने रामपुर के गंज थाना में एफआइआर दर्ज करायी है। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है।

आजम के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग की याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसद मो। आजम खां के खिलाफ रामपुर में दर्ज आपराधिक मामलों की सीबीआइ जांच की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है। किसानों व अन्य लोगों द्वारा दर्ज एफआइआर की पुलिस विवेचना की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की गयी थी। यह आदेश जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस आरएन तिलहरी की खंडपीठ ने फरमूद हुसैन की याचिका पर दिया है। सीबीआइ की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने प्रतिवाद किया। कोर्ट ने याचिका बलहीन मानते हुए वापस करते हुए खारिज किया है।